बिहार चुनाव में बढ़ेगी चिराग पासवान की मुश्किलें? चाचा पशुपति ने बना लिया प्लान; समझें नफा-नुकसान

Chacha vs Bhatija: बिहार चुनाव में इस बार चिराग पासवान पर सभी की निगाहें होंगी। उनकी पार्टी को कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मौका मिलता है? इसके जवाब के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि उनके चाचा पशुपति पारस ने अभी से अपनी कमर कस ली है। उन्होंने ये ऐलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में आरएलजेपी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

Chirag Paswan vs Pashupati Paras

पशुपति पारस vs चिराग पासवान।

Chirag Paswan vs Pashupati Paras: बिहार के चाचा और भतीजे की लड़ाई भला कौन भूल सकता है। राजनीति के मौसम वैज्ञानिक के नाम से मशहूर रहे रामविलास पासवान के दुनिया छोड़ते ही उनकी पार्टी और परिवार दोनों बिखर गए। बेटे चिराग पासवान के कंधों पर उस मुश्किल घड़ी में ये बड़ी जिम्मेदारी थी कि वो अपनी पार्टी को संभालें और उसे आगे बढ़ाए। हालांकि कुछ वीडियो वायरल हुए, उनकी छवि पर असर पड़ा और एक वक्त ऐसा आया कि उनकी पार्टी के सांसदों ने ही उनसे अदावत मोल ले ली। चाचा ने पार्टी तोड़ दी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गए। चिराग के खेमे में एक भी सांसद नहीं बचे थे।

जैसे-जैसे वक्त बदला, चिराग की किस्मत भी बदल गई। उन्होंने अपने चाचा को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया। अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलकर वो लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में रहते हुए, चिराग की पार्टी ने 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 100 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। चिराग अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। यानी चिराग ने अपने चाचा से बदला ले लिया। जाहिर है, पशुपति पारस बौखलाए हुए हैं। वो अपने भतीजे को सबक सिखाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने बिहार की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है।

243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे चिराग के चाचा

पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। पार्टी ने जमीनी स्तर पर संगठन और दलित सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2025 के चुनावों के लिए अपनी तैयारियां भी तेज कर दी हैं। पारस ने कहा, 'हमने बिहार के हर बूथ पर एक संगठन स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके अनुसार, सभी निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नियुक्त किए जाएंगे। बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर एक मजबूत आधार बनाने का विचार है।'

चिराग के चाचा ने बना लिया है चुनावी प्लान

पारस ने अप्रैल 2025 तक सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने की भी घोषणा की। आरएलजेपी की दलित शाखा दलित सेना 14 अप्रैल को पटना में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाएगी। दलित मुद्दों पर आरएलजेपी के फोकस को रेखांकित करते हुए पूरे बिहार से दलित सेना के कार्यकर्ता इकट्ठा होंगे। रालोजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज ने सभी पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों को अपने आवास पर पार्टी का झंडा और नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया गया कि विधानसभा चुनाव में रालोजपा के मजबूत उम्मीदवार उतारे जाएंगे।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले रालोजपा एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी और पशुपति कुमार पारस पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में रालोजपा को एक भी सीट नहीं दी गई, जिससे दरार पड़ गई। चिराग पासवान एनडीए में शामिल हो गए, जबकि पशुपति पारस ने खुद को इससे अलग कर लिया।

जब लालू प्रसाद यादव से मिले थे पशुपति पारस

जनवरी में मकर संक्रांति पर पटना में चूड़ा-दही भोज के दौरान पशुपति कुमार पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को आमंत्रित किया था। पारस के आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेज प्रताप यादव के साथ शामिल हुए थे, जिससे रालोजपा के महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं।

पारस ने खुद संकेत दिया है कि चुनाव के करीब आने पर गठबंधन पर फैसला लिया जाएगा। आरएलजेपी का सभी 243 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती है। अब ये देखना होगा कि क्या बिहार चुनाव में चाचा पशुपति पारस अपने भतीजे चिराग पासवान से बदला ले पाते हैं या नहीं।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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