बांकीपुर सीट पर क्या है चुनावी हाल
Bankipur Assembly Constituency (बांकीपुर विधानसभा सीट): पटना शहर के दिल में बसे बांकीपुर की पहचान सिर्फ आधुनिक चुनावी आंकड़ों से नहीं, बल्कि पुरानी विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों से भी जुड़ी हुई है। पटना कलेक्टरेट, सिविल कोर्ट, 1891 में स्थापित खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी और दरभंगा हाउस जैसे संस्थान यह बताते हैं कि कभी यही इलाका पटना की प्रशासनिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र था। आज भी यहां पटना विश्वविद्यालय के कई स्नातकोत्तर विभाग स्थित हैं, जो इसकी बौद्धिक विरासत को आगे बढ़ाते हैं।
2008 के परिसीमन के बाद जब ‘पटना वेस्ट’ का नाम बदलकर बांकीपुर रखा गया, तभी से इस सीट ने एकतरफा चुनावी नतीजे देखे हैं। पिछले आठ विधानसभा चुनावों में यहां भाजपा का वर्चस्व कायम है, जिनमें से तीन चुनाव बांकीपुर नाम से हुए। राजनीतिक घटनाओं में बड़े उतार-चढ़ाव भले ही न दिखाई दें, लेकिन यहां सियासत का एक पैटर्न साफ दिखता है लगातार बड़े अंतर से भाजपा की जीत और वोटर टर्नआउट में कमी।
90 के दशक में नबीन किशोर प्रसाद सिन्हा ने पटना वेस्ट में अपना सियासी प्रभाव स्थापित किया और 1995 से लगातार चार बार चुनाव जीता। उनके निधन के बाद, 2006 के उपचुनाव में उनके बेटे नितिन नबीन ने पहली बार सदन में प्रवेश किया और यहीं से इस सीट पर भाजपा की जड़ें मजबूत होती गईं। नितिन नबीन ने बांकीपुर नाम बनने के बाद भी उसी स्थिरता से जीत का सिलसिला जारी रखा। 2010, 2015 और 2020 में लगातार तीन बार जीत दर्ज करते हुए वे इस सीट के सबसे प्रभावशाली चेहरों में शामिल हुए।
बांकीपुर का चुनावी गणित समझने के लिए यहां के कायस्थ समुदाय के प्रभाव को समझना जरूरी है। अनुमानित 15% जनसंख्या के साथ यह समुदाय निर्णायक माना जाता है। वैश्य व ब्राह्मण वोट भी भाजपा के परंपरागत समर्थन में जुड़ जाते हैं, जिससे विपक्ष के लिए समीकरण बनाना मुश्किल हो जाता है। यही प्रभाव पटना साहिब लोकसभा में भी दिखा, जब शत्रुघ्न सिन्हा (भाजपा में रहते हुए) 2009 और 2014 में जीते और बाद में कांग्रेस में जाने पर भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने 2019 और 2024 में बढ़त बनाई। दोनों ही अवसरों पर कायस्थ वोट निर्णायक फैक्टर रहे।
2020 के विधानसभा चुनाव में नितिन नबीन ने 39,036 वोटों की बढ़त से कांग्रेस उम्मीदवार लव सिन्हा को हराया। नतीजे स्पष्ट रहे, लेकिन वोटिंग प्रतिशत लगातार घटते जाना चिंता का संकेत है। 2015 में 40.25% मतदान, 2019 लोकसभा में 38.88% और 2020 विधानसभा में यह सिर्फ 35.92% रह गया। यह स्थिति बताती है कि बड़े शहरों में 'परिणाम तय' मानकर लोग मतदान में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और सबसे बड़ी लोकतांत्रिक चुनौती यही बन रही है।
| नोटिफिकेशन की तारीख | 10 अक्टूबर 2025 |
| नामांकन की आखिरी तारीख | 17 अक्टूबर 2025 |
| नामांकन जांच की आखिरी तारीख | 18 अक्टूबर 2025 |
| नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख | 20 अक्टूबर 2025 |
| मतदान | 6 नवंबर 2025 |
| चुनाव नतीजे | 14 नवंबर 2025 |
2020 में बांकीपुर में 3.31 लाख पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 तक बढ़कर 3.96 लाख हो गए। बावजूद इसके, 60% से ज्यादा मतदाता मतदान करने नहीं पहुंचते। बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से इस बार कुल 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। प्रमुख दावेदारों में बीजेपी से नितिन नबीन के अलावा जन सुराज पार्टी की वंदना कुमारी और राजद की रेखा कुमारी शामिल हैं। इसके अलावा AIMIM के रशीद खलील और कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं। यह सीट नतीजों से ज्यादा, राजनीतिक मनोविज्ञान को परिभाषित करती है, जहां इतिहास, परंपरा और जातिगत समीकरण मिलकर एक ऐसा चुनावी भूगोल बनाते हैं, जिसे बदलना आसान नहीं है।
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