उपेंद्र कुशवाहा बोले कुछ लोग जेडीयू को कर रहे हैं कमजोर, किसकी तरफ इशारा
जेडीयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर कहा है कि नीतीश कुमार को पार्टी बचाने के लिए आगे आना चाहिए।
उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू के कद्दावर नेता
जेडीयू के कद्दावर नेता उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर बरकरार हैं। उन्होंने एक बार फिर कहा कि सवाल उनके पार्टी छोड़ने का नहीं बल्कि पार्टी को बचाने का है। वो सीएम नीतीश कुमार से लगातार गुहार लगा रहे हैं कि वो पार्टी को बचाने के लिए आगे आएं। कुछ लोग ऐसे हैं जो लगातार पार्टी को कमजोर करने की मुहिम में जुटे हुए हैं वो लोग उन पर अनावश्यक दबाव बनाकर इस तरह के बयानों के लिए मजबूर कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन लोग है जिनके ऊपर उपेंद्र कुशवाहा आरोप लगा रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि वो पार्टी छोड़कर जाने वाले नहीं हैं भले ही नीतीश कुमार उन्हें पार्टी से निकाल दें।
कुशवाहा, आखिर किस पर साध रहे हैं निशाना
सवाल यह है कि उपेंद्र कुशवाहा किस पर निशाना साध रहे हैं। जानकार बताते हैं कि आरजेडी और जेडीयू के बीच सरकार चलाने के लिए समझौता हुआ तो उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि नीतीश कुमार 2025 के बारे में ऐलान करेंगे कि तेजस्वी यादव की अगुवाई में ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा। इस तरह का बयान जब नीतीश कुमार की तरफ से आया तो आरजेडी के नेता ही कहने लगे कि 2025 का इंतजार क्यों अभी क्यों नहीं। इन सबके बीच जब इस तरह की खबरें आने लगी कि नीतीश कुमार जेडीयू के विलय के बारे में भी सोच रहे हैं तो जेडीयू के उन नेताओं को खुद के लिए रास्ता बंद नजर आने लगा। उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा परवान चढ़ते नहीं दिखी तो ऐसे हालात में उनके पास विरोध के लिए रास्ता नहीं बचा। उपेंद्र कुशवाहा सीधे तौर पर उन नेताओं का नाम लेने से बच रहे हैं। लेकिन इशारा उनकी तरफ है जो नीतीश कुमार के बेहद खास हैं।
क्या है जानकारों की राय
जानकारों के मुताबिक सियासत में जब सत्तासीन दल के अंदर हलचल होती है तो उस पर विपक्षी दलों की भी नजर होती है। इस पूरे प्रकरण में बीजेपी बीजेपी को यकीन है कि बिहार की सत्ता पर काबिज होने के लिए सामाजिक समीकरणों को साधना जरूरी है। अब जबकि उपेंद्र कुशवाहा खुद बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं तो उन्हें पाले में लाना मुश्किल नहीं होगा। लिहाजा बीजेपी पूरे खेल को देख रही है। इसी तरह आरजेडी के रणनीतिकारों को लगता है कि जेडीयू का कमजोर होना उसके लिए फायदेमंद है क्योंकि खुले मैदान में वो इस बात को बुलंद करने में कामयाब हो सकेंगे कि सामाजिक तौर पर जो वर्ग हासिए पर हैं उनकी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ आरजेडी ही लड़ सकती है।
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