नवभारत नवनिर्माण मंच: 'एक मॉडल स्टेट बनकर उभरेगा राजस्थान', जानें मातृ-शिशु दर में कितना हुआ सुधार
Navbharat Navnirman Manch: राजस्थान में मातृ-शिशु दर में बेहतर सुधार देखे गए हैं। अशोक गहलोत की सरकार ने पिछले 5 वर्षों में क्या कुछ किया, नवभारत नवनिर्माण मंच पर स्वास्थ्य मंत्रालय (प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य) के डायरेक्टर डॉ. लोकेश चतुर्वेदी और अन्य अधिकारियों ने इसके बारे में बताया, नीचे पढ़ें।
राजस्थान में मातृ-शिशु स्वास्थ्य में होता सुधार।
Navbharat Navnirman Manch: देश भर में राजस्थान की स्वास्थ्य सेवा की चर्चा हो रही है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने के लिए अशोक गहलोत की सरकार ने पिछले 5 वर्षों में क्या कुछ किया? खासकर राज्य में मातृ-शिशु स्वास्थ्य कितना सुधार हुआ और क्या-क्या बदवाल हुए, इसे लेकर टाइम्स नाउ नवभारत के समिट 'नवभारत नवनिर्माण मंच' पर खास चर्चा हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय (प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य) के डायरेक्टर डॉ. लोकेश चतुर्वेदी, मातृ स्वास्थ्य के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. तरुण चौधरी और बाल स्वास्थ्य के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी ने महिलाओं एवं नवजात बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी सरकार की योजनाओं और कदमों के बारे में जानकारी साझा की।
राजस्थान के हर इलाकों में योजनाएं पहुंचाना कितना चैलेंजिग?
कहते हैं कि खुशहाल परिवार की नींव रखने के लिए घर की महिला का स्वस्थ्य होना बेहद जरूरी है। राजस्थान के हर इलाकों तक शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं और सरकारी सुविधाएं पहुंचाना सबसे बड़ा चैलेंज है। इसी को लेकर हमने डॉ. लोकेश चतुर्वेदी से ये सवाल पूछा कि आखिर सरकार राजस्थान के उन इलाकों में लोगों को लाभ कैसे पहुंचाती है, जहां पहुंचना भी काफी मुश्किल है। इस सवाल के जवाब में डॉ. लोकेश ने बताया कि वाकई ये सच है कि राजस्थान हर तरह के इलाके हैं, इसमें सबसे ज्यादा चैलेंजिंग रेगिस्तानी इलाकों में पहुंचना है। राजस्थान में शिशु स्वास्थ्य योजनाओं को उसको ड्रिमोट (रेगिस्तानी) एरिया तक पहुंचाने के लिए हमने ममता एक्सप्रेस लागू किया। ममता एक्सप्रेस बेसिकली एक हाइब्रिड मॉडल है, जिसमें सुबह 6 घंटे तक शिशु स्वास्थ्य इम्युनाइजेशन के लिए काम करती है और उन एरिया में जाती है, जहां पर किसी को पहुंचने में परेशानियां होती हैं। दूसरी जो हमारी सेवाएं हैं। उसमें हमारी एमएमयू, एमएमवी भी हैं जो इसी तरह की चीजें कर रही है। इसके अलावा हमारी जो राज्य में 500 से 600 तक जननी एक्सप्रेस है, जो हमारी प्रसूताओं और शिशुओं को इमरजेंसी स्टेज पर घर से लेकर अस्पताल तक और वापस अस्पताल से लेकर घर तक छोड़ने की सुविधा हम लोगों ने उपलब्ध कराई। ये जो हमने 100 ममता एक्सप्रेस साथ में चलाए हैं वो 6 घंटे चिकित्सा सेवा, अन्य सेवाओं के साथ बाद में बचे हुए टाइम में वो जननी एक्सप्रेस में परिवर्तित हो जाती है।
बेहतर प्रसव के लिए राजस्थान सरकार ने क्या-क्या प्रयास किए?
राजस्थान की धरती पर शिशु मृत्यु दर में पहले के मुकाबले भारी गिरावट आई है। बेहतर प्रसव के लिए भी जो तमाम प्रयास किए गए हैं, उसमें भी बेहतर परिणाम देखे गए हैं, वो किस तरह के परिणाम हैं? डॉ. तरुण चौधरी ने इसके बारे में बताते हुए कहा कि 'राजस्थान में कहीं सूखा है, रेगिस्तान है, कहीं जंगल है तो कहीं पहाड़ी इलाके हैं। विशेष तौर पर रेगिस्तानी इलाके साधन नहीं चलते हैं। तो विशेष तौर पर उन इलाकों में 4 बाई 4 व्हीकल को इंट्रोड्यूज किया। ऐसे इलाकों में जहां लोग चलकर नहीं आते थे, हम जाने लगे। साल 1992 में जब हमने शुरू किया था 11 प्रतिशत इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी से, उस वक्त केरला 88 प्रतिशत इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी पर था। अब हम 95 फीसदी इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी पर हैं और देश 88.6 फीसदी पर है। मां और बच्चे को सबसे ज्यादा खतरा डिलीवरी के वक्त ही होता है। हम घर-घर जाकर एक इक्वालिटी सर्विस नहीं दे सकते, लेकिन डिलीवरी के वक्त मरीज हमारे सामने है तो ऐसे गोल्डेन टाइम में बेबी को निगरानी में रखते हुए सारे जरूरी कदम उठाते हैं। सभी सुविधाएं और इलाज मुफ्त में मुहैया कराए जाते हैं, इसमें ट्रांसपोर्ट भी शामिल है। राजस्थान अब बीमारू राज्य नहीं रहा है, हमने इसके लिए लगातार स्थिति को बेहतर किया है।'
'चाइल्ड हेल्थ सर्विसेज में एक मॉडल स्टेट बनकर उभरे राजस्थान'
मातृ-शिशु दर को अगर कंट्रोल करना है, बच्चों के लिए टीकाकरण काफी चैलेंजिंग हो जाता है। इसकी अहमियत को देखते हुए राजस्थान में क्या कदम उठाए गए हैं? डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी इस सवाल का इसके बारे में बताया और कहा कि 'आपको सबसे पहले ये समझना चाहिए कि चाइल्ड हेल्थ को नेशनल लेवल और इंटरनेशनल लेवल पर कैसे नापा जाता है? न्यूनेटल मोर्टिलिटी रेट- यानी 28 दिन पूरे करने से पहले कितने बच्चों की मृत्यु हो जाती है। ये एक प्रकार का इंडिकेटर है, जो हमने वर्ष 2030 के लिए टारगेट रखा है वो ये है कि प्रति एक हजार जन्म में 12 नवजात से अधिक की मृत्यु ना हो। टीकाकरण के लिए भी हमने बेहतर कदम उठाए हैं, नर्सरी स्टैबलिश किए हैं, हम चाहते हैं कि मैटेरनल और चाइल्ड हेल्थ सर्विसेज में राजस्थान एक मॉडल स्टेट बनकर उभरे और इस ओर हम काम भी कर रहे हैं।'
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