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दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे बेचने की 'सुप्रीम' मंजूरी मिली, जानें ये आम पटाखों से कैसे अलग और बेहतर?

दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कई सालों से जारी पूर्ण प्रतिबंध के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दौरान ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। हालांकि, ग्रीन पटाखे के साथ कई शर्त भी लगाई गई है। आपको बता दें ​कि ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं, लेकिन आम पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं।

ग्रीन पटाखे

ग्रीन पटाखे

सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में 18 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति दे दी है। हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कई क्लॉज भी लगाए हैं। SC ने कहा कि पुलिस अधिकारी इस बात पर नजर रखेंगे कि केवल क्यूआर कोड वाले ग्रीन पटाखे बेचे जाएं। वहीं, ग्रीन पटाखों का उपयोग शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक ही करना होगा। ई-कॉमर्स वेबसाइटों से पटाखों की बिक्री बिल्कुल नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय के इस फैसल के बाद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आम पटाखे और ग्रीन पटाखे में क्या अंतर है? ग्रीन पटाखे कैसे आम पटाखों से बेहतर है? आइए आपके सभी सवालों के जवाब देते हैं।

आम और ग्रीन पटाखे में क्या अंतर?

पहलूआम पटाखेग्रीन पटाखे
धुआंबहुत ज्यादा वायु प्रदूषण बढ़ाते हैंकम प्रदूषण फैलाते हैं
शोरज्यादा तेज, लोगों के लिए हानिकारक कम शोर
रसायनभारी धातु और रसायन, प्रदूषण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारकहानिकारक रसायन कम
पहचानऐसी कोई पहचान या स्टिकर नहीं एक स्टिकर/QR कोड होता है

ग्रीन पटाखे क्या हैं?

ग्रीन पटाखे में हानिकारक रसायन नहीं होते हैं, जिसके कारण कम वायु प्रदूषण होता है। सीधे शब्दों में कहें तो, ग्रीन पटाखे या पर्यावरण के अनुकूल पटाखे वैकल्पिक कच्चे माल से निर्मित होते हैं ताकि पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़े और स्वास्थ्य के लिए कम खतरा हो। ग्रीन पटाखों में एल्यूमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट या कार्बन नहीं होता है, जो उन्हें पर्यावरण के अनुकूल बनाता है। सामान्य पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे 30 प्रतिशत कम प्रदूषण करते हैं। ग्रीन पटाखों में बेरियम कम या बिल्कुल नहीं होता है लेकिन आम पटाखों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।

क्या ग्रीन पटाखों से प्रदूषण नहीं फैलता?

एक्सपर्ट के अनुसार, ग्रीन और आम पटाखे, दोनों ही प्रदूषण फैलाते हैं और लोगों को इनमें से किसी का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हालांकि, अंतर सिर्फ़ इतना है कि ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30 प्रतिशत कम वायु प्रदूषण फैलाते हैं। पारंपरिक पटाखों में मौजूद जहरीली धातुओं की जगह ग्रीन पटाखे में कम खतरनाक तत्व होते हैं। आपको बता दें कि आम पटाखों से निकलने वाला सफेद रंग एल्युमीनियम, मैग्नीशियम और टाइटेनियम होता है, जबकि नारंगी रंग कार्बन या लोहा होता है। इसी तरह, पीले रंग के एजेंट सोडियम यौगिक होते हैं, जबकि नीला और लाल रंग तांबे के यौगिक और स्ट्रोंटियम कार्बोनेट होते हैं। हरा रंग में बेरियम मोनो क्लोराइड लवण या बेरियम नाइट्रेट या बेरियम क्लोरेट होता है।

आम पटाखों से कैसे अधिक खतरा!

जानकारों का कहना है कि आम पटाखों के फूटने के दौरान अगर कोई व्यक्ति इन रसायनों के संपर्क में आता है तो कई तरह की परेशानी होती है। आम पटाखों में मौजूद लेड तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जबकि तांबा श्वसन तंत्र में जलन पैदा करता है, सोडियम त्वचा संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और मैग्नीशियम मानसिक धुएं के बुखार का कारण बनता है। कैडमियम न केवल एनीमिया का कारण बनता है बल्कि गुर्दे को भी नुकसान पहुंचाता है, जबकि नाइट्रेट सबसे हानिकारक है जो मानसिक दुर्बलता का कारण बनता है। नाइट्राइट की उपस्थिति श्लेष्मा झिल्ली, आंखों और त्वचा में जलन पैदा करती है।

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आलोक कुमार
आलोक कुमार Author

आलोक कुमार टाइम्स नेटवर्क में एसोसिएट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं। इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट मीडिया में उन्हें 17 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव ह... और देखें

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