Yogini Ekadashi Vrat Katha: भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी योगिनी एकादशी की ये व्रत कथा, जानें इसकी पौराणिक कहानी

Yogini Ekadashi Vrat Katha (योगिनी एकादशी की व्रत कथा): योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इस साल 21 जून को ये व्रत त्योहार मनाया जाएगा। इस खास मौके पर व्रत की कथा भी पढ़ी जाती है। इस दिन कथा का पाठ करने से व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।

Yogini Ekadashi 2025 Vrat Katha In Hindi

Yogini Ekadashi 2025 Vrat Katha In Hindi

Yogini Ekadashi Vrat Katha (योगिनी एकादशी की व्रत कथा): सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। आषाढ़ महीने में दो एकादशी आती है। जिनमें पहले एकादशी योगिनी एकादशी है और दूसरी देवशयनी एकादशी होती है। कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में किए गए समस्त पापों का नाश हो जाता है और हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती हैं। इस साल 21 जून को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत में कथा भी पढ़ी जाती है। अगर आप भी योगिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो आपको ये पौराणिक कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्ग लोक में अलकापुरी नगरी में एक कुबेर नाम का राजा रहता था। वह भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था। वह भोलेनाथ की रोजाना श्रद्धा पूर्वक पूजा करता था। कुबेर की पूजा में हिना नाम का एक माली उसे फूल दिया करता था। एक दिन की बात है। माली अपनी सुंदर पत्नी विशालाक्षी के साथ हास्य-विनोद और रमण करने में मग्न हो गया जिसकी वजह से वह राजा को फूल नहीं दे पाया।

दोपहर तक माली का इंतजार करने के बाद राजा ने अपने सैनिकों को माली के न आने का कारण पता लगाने को कहा। जब राजा के सैनिक ने माली के न आने की वजह बताई, तो राजा आग बबूला हो गया और उसने माली को बुलाया। माली के आने पर राजा ने कहा तुमने मेरे पूजनीय भगवान शिव का अनादर किया है। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं, कि तुम्हें स्त्री का वियोग सहना पड़ेगा और मृत्युलोक में जाकर तू कोढ़ी हो जाएगा। राजा के ऐसा कहने पर माली स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गया और वह कोढ़ी का जीवन व्यतित करने लगा।

माली की पत्नी हेम माली भी भिखारिन की तरह जीवन व्यतीत करने लगीं। माली को भी अपनी पत्नी की याद सतानें लगीं। लेकिन श्राप की वजह से वह अपने दूख को कम नहीं कर पाया। एक दिन की बात हैं। मालिक घूमते-घूमते मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में आ गया। ऋषि ने माली की ऐसी दुर्दशा देखकर उससे ऐसा होने का कारण पूछा। तब माली ने ऋषि को सारी बात बताईं। पूरी बात सुननें के बाद ऋषि मार्कंडेय ने हेम माली को योगिनी एकादशी व्रत करने को कहा। तब उसने ऋषि की आज्ञा से विधि-विधान से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माली श्राप से मुक्त होकर पुनः स्वर्ग लोक जाकर अपनी पत्नी के साथ सुखी जीवन व्यतीत करने लगा और उसका कोढ़ भी हमेशा के लिए खत्म हो गया।

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Srishti author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर कॉपी एडिटर कार्यरत हूं। मूल रूप से बिहार की रहने वाली हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में मेरी सबसे ज्यादा दिलचस्पी...और देखें

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