क्या हैं सूर्य की सप्तरश्मियां जिससे जुड़ी है जीवन की डोर
वेद, उपनिषद और पुराणों में सूर्य से निकलने वाली सात दिव्य किरणों का वर्णन किया गया है। ये किरणें सिर्फ भौतिक प्रकाश ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतीक भी मानी जाती हैं।

क्या हैं सूर्य की सप्तरश्मियां जिससे जुड़ी है जीवन की डोर
ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है। इसकी सप्त रश्मियां का अर्थ है सूर्य की किरणों के सात रंग। जो केवल भौतिक प्रकाश ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्तियों का प्रतीक भी हैं। ऋग्वेद में सूर्य को "सप्ताश्वरथमारूढ़म्" कहा गया है। जिसका मतलब है वह देवता जो सात घोड़ों के रथ पर सवार है। ऐसी कहा जाता है कि ये सात अश्व सूर्य की सप्त रश्मियों के प्रतीक माने जाते हैं। मान्यताओं अनुसार सूर्य की सात रश्मियां शरीर के सात चक्रों को जागृत करने में सहायक मानी जाती हैं। चलिए जानते हैं सूर्य की सातों रश्मियों के नाम और उनका महत्व।
सूर्य की सप्तरश्मियां क्या हैं?
सूर्य की सात रश्मियां मानी जाती हैं। इन्हें संस्कृत में 'सप्त रश्मियां' कहा जाता है। जिसमें सप्त का अर्थ होता है सात और रश्मि का अर्थ होता है किरण या प्रकाश की धारा। माना जाता है कि सूर्य की इन अमृतरूपी सात रश्मियों से ही जीव की उत्पत्ति हुई और उन्हीं के कारण पृथ्वी पर प्राणियों का जीवन बरकरार है। चलिए सूर्यदेव की इन सात रश्मियों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
सूर्य की सप्तरश्मियों के नाम
1. सुषुम्णा
ऐसा माना जाता है कि सूर्य की ये रश्मि कृष्णपक्ष में चंद्रमा की क्षीण कलाओं को नियंत्रण करती है और शुक्ल पक्ष में उन कलाओं का अर्विभाव करती है। इस रश्मि का काम है मनुष्य की चेतना को जगाना, ध्यान केंद्रित करना और आत्मिक उन्नति में सहायता देना।
2. सुरादना
कहते हैं चंद्रमा की उत्पत्ति सूर्य की इस रश्मि से हुई है। चंद्रमा में जो भी किरणें हैं वे सूर्य की ही रश्मियां हैं। सूर्य की इस रश्मि का अर्थ है दिव्यता का दान करने वाली सूर्य किरण।
3. उदन्वसु
ऐसा माना जाता है कि इस रश्मि से मंगल ग्रह का आर्विभाव हुआ है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार मंगल मनुष्य शरीर में रक्त का संचालन करते हैं। कहा जाता है कि भगवान सूर्य की ये रश्मि रक्त संबंधी दोष को दूर करके आरोग्य का वरदान प्रदान करती है।
4. विश्वकर्मा
ऐसा कहा जाता है कि यह रश्मि बुध ग्रह का निर्माण करती है और सूर्य की इस रश्मि से मनुष्य का मन शांत रहता है।
5. उदावसु
मान्यताओं अनुसार सूर्यदेव की ये रश्मि बृहस्पति ग्रह का निर्माण करती है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार बृहस्पति ग्रह सबसे शुभ ग्रह होता है जो किसी भी जातक के लिए सौभाग्य का कारक होता है। इस रश्मि का सीधा संबंध मनुष्य के उत्थान-पतन से होता है।
6. विश्वन्यचा
कहते हैं सूर्यदेव की इस रश्मि से शुक्र और शनि ग्रह की उत्पत्ति हुई है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र वीर्य के कारक हैं तो शनि मृत्यु के अधिष्ठाता हैं। ऐसे में सूर्य की यह रश्मि काफी महत्वपूर्ण है।
7. हरिकेश
मान्यताओं अनुसार सूर्य की इस रश्मि से आकाश के सभी नक्षत्र उत्पन्न हुए हैं। ऐसे में ये रश्मि नक्षत्र के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के आचरण के अनुसार उसे तेज, बल, वीर्य आदि से जुड़े शुभ–अशुभ फल प्रदान करती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

Aaj Kaun Si Tithi hai: वृष राशि में सूर्य का गोचर, पंचांग से लें आज की तिथि, राहु काल, शुभ मुहूर्त की जानकारी

जया किशोरी ने बताया सच्चे प्यार का असली अर्थ, जानिए प्रेम की गहराई

श्मशान जैसे हो जाते हैं वे घर जहां नहीं होते ये जरूरी कार्य – चाणक्य की चेतावनी

साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में भी देगा दिखाई, इन राशियों की चमक उठेगी किस्मत, धन और तरक्की के योग

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण में शनि का गोचर, इन जातकों को देगा जबरदस्त लाभ
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited