Famous Shlokas from Vedas: वेदों के इन श्लोकों में छिपा है जीवन का सार, पढ़िए भावार्थ सहित संस्कृत से हिंदी में

famous Hindu Slokas in Sanskrit: वेदों के श्लोक पढ़ने से व्यक्ति को सफल जीवन जीने के उपाय मिलते हैं। वेदों में दिए गए श्लोकों से व्यक्ति को ये पता चलता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए, परिवार के साथ कैसे रहना चाहिए, और भय से कैसे लड़ना चाहिए।

Jeevan jeene ki prerna denge ye prachin vedic shlok

जीवन जीने की प्रेरणा देंगे ये प्राचीव वैदिक श्लोक

Famous Shlokas from Vedas: वेद, सनातन हिंदू धर्म के मूल ग्रंथ जिनकी रचना हजारों वर्ष पहले वैदिक काल में हुई मानी जाती है। महर्षि वेद व्यास द्वारा लिखे गए चार वेद, ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में जीवन, धर्म, मोक्ष और ईश्वरी शक्ति से जुड़ी की बातें लिखी गई हैं। जीवन के संकटों से लड़ने और जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने के लिए वेदों में कुछ ऐसे श्लोक हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

वेदों का महत्व

वेद, हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं। वेदों का महत्व इस वजह से है क्योंकि इनसे जीवन जीने का मार्गदर्शन मिलता है। वेदों में कई विषयों का ज्ञान है, जैसे कि देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत और रीति-रिवाज।

वेदों के श्लोक

वेदों के श्लोक पढ़ने से व्यक्ति को सफल जीवन जीने के उपाय मिलते हैं। वेदों में दिए गए श्लोकों से व्यक्ति को ये पता चलता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए, परिवार के साथ कैसे रहना चाहिए, और भय से कैसे लड़ना चाहिए। चलिए जानते हैं कि वो श्लोक कौन से हैं।

बुद्धि कर्मानुसारिणी।

बुद्धिर्यस्य बलं तस्य।।

अर्थ - इस श्लोक के बुद्धि कर्म का अनुसरण करती है और तलवार से अधिक शक्तिशाली मनुष्य की बुद्धि होती है। यानी कि बुद्धि को तेज बनाने से हर कठिन परिस्थिति में व्यक्ति की विजय होगी। युद्ध में भी तलवार से ज्यादा रणनीति और बुद्धि को अधिक विशेष माना जाता है।

मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्, मा स्वसारमुत स्वसा।

सम्यञ्च: सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया।।

अर्थ - अथर्ववेद के इस श्लोक के अनुसार भाई, भाई को आपस कभी द्वेष नहीं करना चाहिए। बहन, बहन में कभी भी द्वेष की भावना नहीं आनी चाहिए। उन्हें एक दूसरे का हमेशा आदर-सम्मान करके मिल-जुलकर रहना चाहिए ताकि परिवार हमेशा खुशहाल रहे। ऐसे घर में देवी-देवताओं का वास होता है।

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।

रुग्णस्य चौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।

अर्थ - इस श्लोक के मुताबिक जो व्यक्ति हमेशा कोशिश और परिश्रम करता है, विद्या उसकी मित्र बन जाती है। एक घर को स्वर्ग बनाने में पत्नी का बहुत बड़ा योगदान होता है, इसलिए घर की मित्र पत्नी होती है। मरीजों के लिए दवाई मित्र होती है और मृत्यु के उपरांत धर्म ही आत्मा के साथ होता है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन काल में अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।

यथा द्यौश्च पृथिवी च न बिभीतो न रिष्यतः।

एवा मे प्राण मा विभेः।।

अर्थ - व्यक्ति को हर परिस्थिति में निर्भय रहना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि भय से न केवल मन में तनाव बढ़ता है, बल्कि शारीरिक कष्टों का खतरा भी बढ़ जाता है। जो व्यक्ति धैर्य और निर्भीक होकर कार्य करता है, उसे हमेशा सफलता मिलती है।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।

विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥

अर्थ – इस श्लोक का मतलब है कि शेर को जंगल का राजा बनाने के लिए कोई अभिषेक या संस्कार नहीं किया जाता। बल्कि शेर अपने पराक्रम और गुणों से ही मृगेंद्र और जंगल का राजा बन जाता है। इस नाते व्यक्ति की मेहनत उसे राजाओं जैसा स्थान भी दिला सकती है।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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