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Satyanarayan Bhagwan Ki Katha: कार्तिक पूर्णिमा पर पढ़ें सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा, देखें श्री सत्यनारायण की असली कथा लिखित में

Satyanarayan Bhagwan Ki Katha (सत्यनारायण भगवान की कथा): आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है और हर पूर्णिमा पर श्री सत्यनारायण भगवान की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। पूजा के साथ ही कथा भी जरूर पढ़ी जाती है। यहां से आप सत्यनारायण भगवान की संपूर्ण कथा देख सकते हैं।

Satyanarayan Bhagwan Ki Katha

सत्यनारायण भगवान की कथा लिखित में (pic credit: pinterest)

Satyanarayan Bhagwan Ki Katha (सत्यनारायण की असली कथा): एक समय की बात है नैषिरण्य तीर्थ में शौनिकादि, अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से पूछा हे प्रभु! इस कलियुग में मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिल सकती है? हे मुनि श्रेष्ठ ! कोई ऎसा तप बताइए जिससे थोड़े समय में ही पुण्य मिलें और मनवांछित फल की प्राप्ति हो। सर्व शास्त्रों के ज्ञाता सूत जी बोले: हे वैष्णवों में पूज्य ! आप सभी ने प्राणियों के हित में अच्छी बात पूछी है इसलिए मैं एक ऐसे श्रेष्ठ व्रत के बारे में आपको बताउंगा जिसके बारे में नारद जी ने लक्ष्मीनारायण जी से पूछा था और लक्ष्मीपति ने मनिश्रेष्ठ नारद जी से कहा था। आप सब इसे ध्यान से सुनिए –

एक समय की बात है नारद जी दूसरों के हित की इच्छा के लिए अनेकों लोको में घूमते हुए मृत्युलोक जा पहुंचे। जहां उन्होंने अनेक योनियों में जन्मे सभी मनुष्यों को अपने कर्मों द्वारा अनेकों दुखों से पीड़ित देखा। उनका दुख देख नारद जी भी दुखी हो गए और उन्होंने सोचा कि ऐसा कौन सा यत्न किया जाए जिसके करने से मानव के दुखों का अंत हो जाए। इसी विचार पर मनन करते हुए वह विष्णुलोक में गए। वहां वह नारायण की स्तुति करने लगे।

स्तुति करते हुए नारद जी बोले- हे भगवान! आप अत्यंत शक्ति से संपन्न हैं, मन तथा वाणी भी आपको नहीं पा सकती। नारद जी की स्तुति सुन विष्णु भगवान बोले: हे मुनिश्रेष्ठ! आपके मन में क्या बात है? आप किस लिए पधारे हैं? उसे नि:संकोच कहें। इस पर नारद मुनि बोले भगवान मृत्युलोक में अनेक योनियों में जन्मे मनुष्य अपने कर्मों के द्वारा अनेको दुख भोग रहे हैं। हे नाथ! आप मुझ पर दया रखते हैं तो बताइए कि वो मनुष्य अपने दुखों से कैसे छुटकारा पा सकते है।

श्रीहरि बोले- हे नारद! मनुष्यों की भलाई के लिए तुमने अच्छी बात पूछी। अब मैं वो बात तुमसे कहता हूं जिसके करने से मनुष्य मोह से छूट जाता है। स्वर्ग लोक व मृत्युलोक दोनों में एक दुर्लभ उत्तम व्रत है जो पुण्य देने वाला है। श्रीसत्यनारायण भगवान का व्रत विधानपूर्वक करके मनुष्य तुरंत ही यहां सुख भोग कर, मरने पर मोक्ष पाता है।

श्रीहरि के वचन सुन नारद जी बोले कि उस व्रत का फल क्या है? कैसे इसे रखा जाता है? सबसे पहले ये व्रत किसने किया था? इस व्रत को किस दिन करना चाहिए? सभी कुछ विस्तार से बताएं। नारद की बात सुनकर श्रीहरि बोले: ये व्रत दुख व शोक को दूर करने वाला और विजय दिलाने वाला है। मनुष्य को भक्ति व श्रद्धा के साथ शाम को श्रीसत्यनारायण की पूजा ब्राह्मणों व बंधुओं के साथ करनी चाहिए। भक्ति भाव से नैवेद्य, केले का फल, घी, दूध और गेहूं का आटा सवाया लें। गेहूं के स्थान पर साठी का आटा, शक्कर और गुड़ लेकर व सभी भक्षण योग्य पदार्थो को मिलाकर भगवान का भोग तैयार करें।

इस दिन ब्राह्मणों सहित बंधु-बांधवों को भी भोजन कराएं, उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। भजन, कीर्तन के साथ भगवान की भक्ति में लीन रहें। इस तरह से सत्य नारायण भगवान का ये व्रत करने पर मनुष्य की सभी इच्छाएं निश्चित रुप से पूरी हो जाती हैं। इस कलि काल अर्थात कलियुग में मृत्युलोक में मोक्ष का यही एक सरल उपाय है।

श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण।

भज मन नारायण-नारायण-नारायण।

श्री सत्यनारायण भगवान की जय॥

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Srishti
Srishti Author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच... और देखें

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