राम नवमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती, महत्व और हवन पूजन मंत्र सबकुछ यहां जानें
राम नवमी का त्योहार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है और इस साल ये तिथि 6 अप्रैल को पड़ी है। यहां आप जानेंगे राम नवमी की पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ।

राम नवमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती, महत्व और हवन पूजन मंत्र सबकुछ यहां जानें
राम नवमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न काल में भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए ही ये दिन सनातन धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन घरों और मंदिरों में भगवान राम की विधि विधान पूजा की जाती है और जगह-जगह रामचरितमानस का पाठ किया जाता है। इस साल राम नवमी 6 अप्रैल को मनाई जा रही है। ऐसे में जान लें राम नवमी की संपूर्ण पूजा विधि क्या है।
Ram Navami Puja Samagri
राम नवमी पूजा मुहूर्त 2025 (Ram Navami Puja Muhurat 2025)
राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल 2025 की सुबह 11:08 से दोपहर 01:39 बजे तक रहेगा। राम नवमी मध्याह्न का क्षण दोपहर 12:24 बजे का है। नवमी तिथि का प्रारम्भ 5 अप्रैल 2025 की शाम 07:26 बजे से होगा और इसकी समाप्ति 6 अप्रैल 2025 की शाम 07:22 बजे होगी।
रामनवमी पर क्या-क्या करते हैं (Ram Navami Par Kya Karte Hai)
1. इस दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
2. रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
3. भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
4. भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और मूर्ति की विधि विधान स्थापना की जाती है।
5. इस दिन भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाने की भी परंपरा है।
राम नवमी की पूजा विधि (Ram Navami Puja Vidhi)
- सबसे पहले इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें।
- उसके बाद श्रीराम नवमी की षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
- भगवान को खीर और फल-मूल प्रसाद स्वरूप चढ़ाएं।
- पूजा की समाप्ति के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाती है।
राम नवमी पर कन्या पूजन (Ram Navami Par Kanya Pujan)
कई जगह राम नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कहते हैं इस दिन कन्या पूजन करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कन्या पूजन से पहले माता की विधिवत पूजा की जाती है।
राम नवमी पर हवन (Ram Navami Hawan)
राम नवमी के दिन हवन करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस दिन हवन करने से घर में सुख-शांति आती है। जिससे परिवार का माहौल सदैव सुखद बना रहता है।
Why Ram Navami Is Celebrated Twice: राम नवमी साल में दो बार क्यों मनाते हैं?
भारत में साल में दो बार रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। पहली चैत्र नवरात्रि में और दूसरी बार शारदीय नवरात्रि में। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि में राम नवमी भगवान राम के जन्म के रूप में मनाई जाती है, जबकि शारदीय नवरात्रि में राम नमवी, रावण के वध के रूप में मनाई जाती है। रामनवमी हिंदुओं का एक पवित्र त्योहार है।राम नवमी की आरती (Ram Navami Ki Aarti)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
Bhaye Pragat Kripala Din Dayala Lyrics In English
Bhaye Pragat Kripala Deendayala,Kausalya Hitkari ।
Harashit Mahatari, Muni Mana Hari,
Adbhut Roop Bichari ॥
Lochan Abhirama, Tanu Ghanasyama,
Nij Aayudh Bhujchari ।
Bhushan Banmala, Nayan Bisala,
Sobhasindhu Kharari ॥
Kah Dui Kar Jori, Astuti Tori,
Kehi Bidhi Karun Ananta ।
Maya Gun Gyanateet Amana,
Ved Puran Bhananta ॥
Karuna Sukh Sagar, Sab Gun Aagar,
Jehi Gavahin Shruti Santa ।
So Mam Hit Lagi, Jan Anuragi,
Bhayau Pragat Shreekanta ॥
Brahmand Nikaya, Nirmit Maya,
Rom Rom Prati Bed Kahay ।
Mam Ur so Basi, Yah Upahasi,
Sunat Dhir Mati Thir Na Rahay ॥
Upaja Jab Gyana, Prabhu Musukana,
Charit Bahut Bidhi Keenh Chahay ।
Kahi Katha Suhaee, Maatu Bujhaee,
Jehi Prakaar Sut Prem Lahay ॥
Mata Puni Boli, so Mati Doli,
Tajahu Taat Yah Roopa ।
Keejay Sisulila, Ati Priyasila,
Yah Sukh Param Anupa ॥
Suni Bachan Sujaana, Rodan Thaana,
Hoi Balak Surabhoopa ।
Yah Charit Je Gavahin, Haripad Pavahin,
Te Na Parahin Bhavakoopa ॥
Bhaye Pragat Kripala, Deendayala,
Kausalya Hitakari ।
Harashit Mahatari, Muni Mana Hari,
Adbhut Roop Bichari ॥
राम नवमी कथा (Ram Navami Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार अयोध्या के महाराज दशरथ को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी। तब उन्होंन अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के कहे अनुसार एक महायज्ञ आयोजित किया। महाराज ने इस यज्ञ में सभी यशस्वी ऋषि-मुनियों को बुलाया। यज्ञ के समापन के बाद महाराज दशरथ ने सभी ऋषि और पंडितों को धन-धान्य का दान कर विदा किया। यज्ञ से प्राप्त प्रसाद को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों के बीच वितरित कर दिया। तत्पश्चात यज्ञ के पुण्य फल से तीनों रानियों ने गर्भ धारण किया। सबसे पहले माता कौशल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया। ये बालक कोई और नहीं बल्कि श्री विष्णु के सप्तम अवतार भगवान राम ही थे।Havan Mantra (हवन आहुति मंत्र 108)
- ॐ गणपते स्वाहा.
- ॐ ब्रह्मणे स्वाहा .
- ॐ ईशानाय स्वाहा .
- ॐ अग्नये स्वाहा .
- ॐ निऋतये स्वाहा .
- ॐ वायवे स्वाहा .
- ॐ अध्वराय स्वाहा.
- ॐ अदभ्य: स्वाहा .
- ॐ नलाय स्वाहा .
- ॐ प्रभासाय स्वाहा .
- ॐ एकपदे स्वाहा .
- ॐ विरूपाक्षाय स्वाहा .
- ॐ रवताय स्वाहा .
- ॐ दुर्गायै स्वाहा .
- ॐ सोमाय स्वाहा .
- ॐ इंद्राय स्वाहा .
- ॐ यमाय स्वाहा .
- ॐ वरुणाय स्वाहा .
- ॐ ध्रुवाय स्वाहा .
- ॐ प्रजापते स्वाहा .
- ॐ अनिलाय स्वाहा .
- ॐ प्रत्युषाय स्वाहा .
- ॐ अजाय स्वाहा .
- ॐ अर्हिबुध्न्याय स्वाहा .
- ॐ रैवताय स्वाहा .
- ॐ सपाय स्वाहा .
- ॐ बहुरूपाय स्वाहा .
- ॐ सवित्रे स्वाहा .
- ॐ पिनाकिने स्वाहा .
- ॐ धात्रे स्वाहा .
- ॐ यमाय स्वाहा .
- ॐ सूर्याय स्वाहा .
- ॐ विवस्वते स्वाहा .
- ॐ सवित्रे स्वाहा .
- ॐ विष्णवे स्वाहा .
- ॐ क्रतवे स्वाहा .
- ॐ वसवे स्वाहा .
- ॐ कामाय स्वाहा .
- ॐ रोचनाय स्वाहा .
- ॐ आर्द्रवाय स्वाहा .
- ॐ अग्निष्ठाताय स्वाहा .
- ॐ त्रयंबकाय भूरेश्वराय स्वाहा .
- ॐ जयंताय स्वाहा .
- ॐ रुद्राय स्वाहा .
- ॐ मित्राय स्वाहा .
- ॐ वरुणाय स्वाहा .
- ॐ भगाय स्वाहा .
- ॐ पूष्णे स्वाहा .
- ॐ त्वषटे स्वाहा .
- ॐ अशिवभ्यं स्वाहा .
- ॐ दक्षाय स्वाहा .
- ॐ फालाय स्वाहा .
- ॐ अध्वराय स्वाहा .
- ॐ पिशाचेभ्या: स्वाहा .
- ॐ पुरूरवसे स्वाहा.
- ॐ सिद्धेभ्य: स्वाहा .
- ॐ सोमपाय स्वाहा .
- ॐ सर्पेभ्या स्वाहा .
- ॐ वर्हिषदे स्वाहा .
- ॐ गन्धर्वाय स्वाहा .
- ॐ सुकालाय स्वाहा .
- ॐ हुह्वै स्वाहा .
- ॐ शुद्राय स्वाहा .
- ॐ एक श्रृंङ्गाय स्वाहा .
- ॐ कश्यपाय स्वाहा .
- ॐ सोमाय स्वाहा.
- ॐ भारद्वाजाय स्वाहा.
- ॐ अत्रये स्वाहा .
- ॐ गौतमाय स्वाहा .
- ॐ विश्वामित्राय स्वाहा .
- ॐ वशिष्ठाय स्वाहा .
- ॐ जमदग्नये स्वाहा
- ॐ वसुकये स्वाहा .
- ॐ अनन्ताय स्वाहा.
- ॐ तक्षकाय स्वाहा .
- ॐ शेषाय स्वाहा .
- ॐ पदमाय स्वाहा.
- ॐ कर्कोटकाय स्वाहा .
- ॐ शंखपालाय स्वाहा .
- ॐ महापदमाय स्वाहा .
- ॐ कंबलाय स्वाहा .
- ॐ वसुभ्य: स्वाहा .
- ॐ गुह्यकेभ्य: स्वाहा.
- ॐ अदभ्य: स्वाहा .
- ॐ भूतेभ्या स्वाहा .
- ॐ मारुताय स्वाहा .
- ॐ विश्वावसवे स्वाहा .
- ॐ जगत्प्राणाय स्वाहा .
- ॐ हयायै स्वाहा .
- ॐ मातरिश्वने स्वाहा .
- ॐ धृताच्यै स्वाहा .
- ॐ गंगायै स्वाहा .
- ॐ मेनकायै स्वाहा .
- ॐ सरय्यवै स्वाहा .
- ॐ उर्वस्यै स्वाहा .
- ॐ रंभायै स्वाहा .
- ॐ सुकेस्यै स्वाहा .
- ॐ तिलोत्तमायै स्वाहा .
- ॐ रुद्रेभ्य: स्वाहा .
- ॐ मंजुघोषाय स्वाहा .
- ॐ नन्दीश्वराय स्वाहा .
- ॐ स्कन्दाय स्वाहा .
- ॐ महादेवाय स्वाहा .
- ॐ भूलायै स्वाहा .
- ॐ मरुदगणाय स्वाहा .
- ॐ श्रिये स्वाहा .
- ॐ रोगाय स्वाहा .
- ॐ पितृभ्या स्वाहा .
- ॐ मृत्यवे स्वाहा.
- ॐ दधि समुद्राय स्वाहा.
- ॐ विघ्नराजाय स्वाहा .
- ॐ जीवन समुद्राय स्वाहा .
- ॐ समीराय स्वाहा .
- ॐ सोमाय स्वाहा .
- ॐ मरुते स्वाहा .
- ॐ बुधाय स्वाहा .
- ॐ समीरणाय स्वाहा
- ॐ शनैश्चराय स्वाहा .
- ॐ मेदिन्यै स्वाहा.
- ॐ केतवे स्वाहा .
- ॐ सरस्वतयै स्वाहा .
- ॐ महेश्वर्य स्वाहा .
- ॐ कौशिक्यै स्वाहा .
- ॐ वैष्णव्यै स्वाहा .
- ॐ वैत्रवत्यै स्वाहा .
- ॐ इन्द्राण्यै स्वाहा
- ॐ ताप्तये स्वाहा .
- ॐ गोदावर्ये स्वाहा .
- ॐ कृष्णाय स्वाहा .
- ॐ रेवायै पयौ दायै स्वाहा .
- ॐ तुंगभद्रायै स्वाहा .
- ॐ भीमरथ्यै स्वाहा .
- ॐ लवण समुद्राय स्वाहा .
- ॐ क्षुद्रनदीभ्या स्वाहा .
- ॐ सुरा समुद्राय स्वाहा .
- ॐ इक्षु समुद्राय स्वाहा .
- ॐ सर्पि समुद्राय स्वाहा .
- ॐ वज्राय स्वाहा .
- ॐ क्षीर समुद्राय स्वाहा .
- ॐ दण्डार्ये स्वाहा .
- ॐ आदित्याय स्वाहा .
- ॐ पाशाय स्वाहा .
- ॐ भौमाय स्वाहा .
- ॐ गदायै स्वाहा .
- ॐ पदमाय स्वाहा .
- ॐ बृहस्पतये स्वाहा .
- ॐ महाविष्णवे स्वाहा .
- ॐ राहवे स्वाहा .
- ॐ शक्त्ये स्वाहा .
- ॐ ब्रह्मयै स्वाहा .
- ॐ खंगाय स्वाहा
- ॐ कौमार्ये स्वाहा.
- ॐ अंकुशाय स्वाहा .
- ॐ वाराहै स्वाहा .
- ॐ त्रिशूलाय स्वाहा .
- ॐ चामुण्डायै स्वाहा .
- ॐ महाविष्णवे स्वाहा
Ram Navami Hawan Mantra: हवन मंत्र
- ओम आग्नेय नम: स्वाहा
- ओम गणेशाय नम: स्वाहा
- ओम गौरियाय नम: स्वाहा
- ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
- ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ओम हनुमते नम: स्वाहा
- ओम भैरवाय नम: स्वाहा
- ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
- ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
- ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
- ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
- ओम शिवाय नम: स्वाहा
- ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा
- ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
- ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा
- ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते
- ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा
भए प्रगट कृपाला दीन दयाला रामचरितमानस श्री राम स्तुति (Bhaye Pragat kripala Dindayala)
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥
दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित,
लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु,
माया गुन गो पार ॥
राम नवमी श्लोक (Ram Navami Shlok)
-लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
-रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥
-विजेतव्या लङ्का चरणतरणीयो जलनिधिः
विपक्षः पौलस्त्यो रणभुवि सहायाश्च कपयः।
तथाप्येको रामः सकलमवधीद्राक्षसकुलं
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे॥
राम नवमी पूजा मंत्र और श्लोक (Ram Navami Puja Mantra And Shlok)
'श्री राम जय राम जय जय राम'श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में (Shri Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Me Bhajan)
ना चलाओ बाण,व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।
अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ॥
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: श्री राम चलीसा
श्री रघुबीर भक्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला। सदा करो सन्तन प्रतिपाला॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पावत कोउ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुँ न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्ध जुरे यमहूँ किन होई॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै। ताको मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
रामा आत्मा पोषण हारे। जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्य-ब्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जापति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुमहीं हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै। सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
दोहा
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय॥
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: हनुमान जी की आरती (Aarti Kije Hanuman Lala Ki)
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: राम जी की स्तुति
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।
माया गुअन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा ।
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ॥
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ॥
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: समस्या से मुक्ति के लिए प्रभु श्रीराम जी के मंत्र
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE:श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।.
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
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अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
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दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
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लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
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लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
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लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
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पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
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बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
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सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
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कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
.
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
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जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: राम जी की आरती (श्री राम चंद्र कृपालु भजमन)
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: रामनवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
राम जी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से शुरू होगा और दोपहर 1:35 बजे तक रहेगा।Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: भगवान श्री राम की फोटो

Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: आरती भगवान श्री रामचंद्रजी की
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
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कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
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भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
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सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
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इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
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मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
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एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
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दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: राम नवमी के दिन का भोग
राम नवमी के दिन भगवान राम को विशेष रूप से पंजीरी और खीर का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा आप फल, मिठाई, और अन्य पारंपरिक भोग भी अर्पित कर सकते हैं।Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: राम नवमी के दिन किसका पाठ करें
राम नवमी के दिन श्रीरामचरितमानस या सुंदरकांड का पाठ करना उचित माना जाता है।Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: श्री रामाष्टकम् लिरिक्स
भजे विशेषसुन्दरं समस्तपापखण्डनम् ।स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव राममद्वयम् ॥ १ ॥
जटाकलापशोभितं समस्तपापनाशकं ।
स्वभक्तभीतिभञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ २ ॥
निजस्वरूपबोधकं कृपाकरं भवापहम् ।
समं शिवं निरञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ ३ ॥
सहप्रपञ्चकल्पितं ह्यनामरूपवास्तवम् ।
निराकृतिं निरामयं भजे ह राममद्वयम् ॥ ४ ॥
निष्प्रपञ्चनिर्विकल्पनिर्मलं निरामयम् ।
चिदेकरूपसन्ततं भजे ह राममद्वयम् ॥ ५ ॥
भवाब्धिपोतरूपकं ह्यशेषदेहकल्पितम् ।
गुणाकरं कृपाकरं भजे ह राममद्वयम् ॥ ६ ॥
महावाक्यबोधकैर्विराजमानवाक्पदैः ।
परं ब्रह्मसद्व्यापकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ७ ॥
शिवप्रदं सुखप्रदं भवच्छिदं भ्रमापहम् ।
विराजमानदेशिकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ८ ॥
रामाष्टकं पठति यस्सुखदं सुपुण्यं
व्यासेन भाषितमिदं शृणुते मनुष्यः
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं
संप्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम् ॥ ९ ॥
॥ इति श्रीव्यासविरचितं रामाष्टकं संपूर्णम् ॥
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: राम नवमी के दिन किस रंंग के वस्त्र धारण करें
राम नवमी के दिन, विशेषकर भगवान राम की पूजा करते समय, पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: श्री राम स्तुति
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे।
Ram Navami 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: भए प्रगट कृपाला दीनदयाला लिरिक्स
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥
दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥
Ram Navami Puja Muhurat 2025: राम नवमी पूजा मुहूर्त 2025
राम नवमी के दिन हवन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दिन रवि पुष्य योग पूरे दिन रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा।राम नवमी हवन मुहूर्त 2025 (Ram Navami Havan Muhurat 2025)
राम नवमी के दिन हवन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दिन रवि पुष्य योग पूरे दिन रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा।Ram Navami Par Kya Karte Hai: राम नवमी पर क्या करते हैं
राम नवमी पर भगवान राम की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान राम की प्रतिमा को फूलों से सजाया जाता है। साथ ही इस दिन रामलला को झूला झुलाने की भी परंपरा है।Ram Navami Puja 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: श्री सीताराम आरती
॥ श्री सीताराम आरती ॥आसपास सखियाँ सुख दैनी,सजि नव साज सिन्गार सुनैनी,
बीन सितार लिएँ पिकबैनी,गाइ सुराग सुनाओ॥
गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ।
अनुपम छबि धरि दन्पति राजत,नील पीत पट भूषन भ्राजत,
निरखत अगनित रति छबि लाजत,नैनन को फल पाओ॥
गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ।
नीरज नैन चपल चितवनमें,रुचिर अरुनिमा सुचि अधरनमें,
चन्द्रबदन की मधु मुसकनमेंनिज नयनाँ अरुझाओ॥
गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ।
कंचन थार सँवारि मनोहर,घृत कपूर सुभ बाति ज्योतिकर,
मुरछल चवँर लिएँ रामेस्वरहरषि सुमन बरसाओ॥
गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती गाओ।
Ram Navami Puja 2025 Shubh Muhurat Timing LIVE: भगवान राम चालीसा
॥ चौपाई ॥श्री रघुबीर भक्त हितकारी।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई।ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरें शिवजी मन मांही।ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला।रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं।दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर,पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े,राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै,सकल सिद्ध हो जाय॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में - भजन (Shri Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Me Bhajan)
ना चलाओ बाण,व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।
अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ॥
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
Ram Navmi Special Bhajan: राम नवमी भजन
राम नवमी की आरती (Ram Navami Ki Aarti)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
राम नवमी मंत्र (Ram Navami Mantra)
- ॐ श्री रामचन्द्राय नमः
- ॐ रां रामाय नमः
- श्री राम, जय राम, जय जय राम
- ॐ दाशरथये विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो रामः प्रचोदयात्॥
Ram Navami Kanya Pujan Gift: राम नवमी कन्या पूजन गिफ्ट
मेष राशि : मिठाइयां और चूड़ियांवृष राशि: पीलें रंग के कपड़े, वस्तुएं, फल, चने की दाल
मिथुन राशि : सफेद मिठाई, कॉपी-किताब
कर्क राशि : श्रृंगार का सामान और खीर
सिंह राशि : मिठाई, संतरा, गोल्डन चुनरी और चूड़ियां
कन्या राशि : नारियल और हरी चूड़ियां
तुला राशि : कन्याओं को खिलौने और हरी चूड़ियां
वृश्चिक राशि : किताबें, अनार, सेब और नारंगी चूड़ियां
धनु राशि : कपड़े, केसर से बनी मिठाई और गोल्डन रंग की चूड़ियां
मकर राशि : बादाम, काजू, मेवे, काजू कतली
कुंभ राशि : अंगूर, केले और हरी चूड़ियां
मीन राशि : रंग-बिरंगे रिबन और गोल्डन चूड़ियां
Ram Navami Katha: राम नवमी कथा
धार्मिक मान्यताओं अनुसार राम नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। शास्त्रों अनुसार श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न काल में हुआ था, जो कि हिन्दु काल गणना के अनुसार दिन के मध्य का समय होता है। इसलिए ही राम नवमी पूजा के लिए मध्याह्न का समय सर्वाधिक शुभ होता है।Ram Navami Ki Katha: राम नवमी की कथा
श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
24 जून का पंचांग, जानें आज का राहुकाल, शुभ मुहूर्त, संयोग और दिशाशूल, आज कौन सा व्रत है?

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