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Dev Deepawali 2025 Aarti (देव दिवाली आरती): देव दीपावली की 4 स्पेशल आरती, देखें शिव जी, लक्ष्मी माता, गंगा मैया और चंद्र देव की आरती के लिरिक्स

Dev Deepawali 2025 Aarti (देव दिवाली आरती) Lyrics in Hindi and Sanskrit, Dev Diwali Par Vishnu Ji Ki Aarti Text: आज देव दीवाली है और आज के दिन शिव भगवान, गंगा मैया, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की आरती करना शुभ माना जाता है। यहां से आप देव दीपावली स्पेशल आरती के लिरिक्स देख सकते हैं।

dev deepawali ki aarti

देव दीपावली स्पेशल आरती (pic credit: canva)

Dev Deepawali 2025 Aarti (देव दिवाली आरती): देवों की दीपावली यानी देव दीपावली इस साल 5 नवंबर को मनाया जा रहा है। आज के दिन भगवान शिव, विष्णु, गंगा माता, और लक्ष्मी माता की पूजा करने का विधान है। साथ ही चंद्रदेव की अराधना भी की जाती है। यहां से आप देव दीपावली की स्पेशल आरती के लिरिक्स देख सकते हैं।

शिवजी की आरती 'ॐ जय शिव ओंकारा' (Shiv Ji Ki Aarti)-

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

गंगा मैया की आरती (Ganga Mata Ki Aarti)-

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।

शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥

॥ ओम जय गंगे माता..॥

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।

कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥

॥ ओम जय गंगे माता..॥

एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता ।

यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ॥

॥ ओम जय गंगे माता..॥

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता ।

दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता ॥

॥ ओम जय गंगे माता..॥

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti in Hindi)-

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

मैया तुम ही जग-माता।।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

मैया सुख सम्पत्ति दाता॥

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

मैया तुम ही शुभदाता॥

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

मैया सब सद्गुण आता॥

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

मैया वस्त्र न कोई पाता॥

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

मैया क्षीरोदधि-जाता॥

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

मैया जो कोई जन गाता॥

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)-

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।

दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।।

रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।

दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।

सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।।

योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।।

वेद पुरण बखानत, भय पातक हारी।

प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।।

शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।

धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।।

विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।

सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।।

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।

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Srishti
Srishti Author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच... और देखें

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