अजब है ये शिवाला, लंदन ब्रिज की तरह श्रद्धालु लगाने आते हैं मन्नत का ताला

लंदन में एक ब्रिज है, जिस पर प्रेमी जोड़े अपने प्यार को दर्शाने के लिए वहां विशेषतौर पर बनाई गई जगह पर ताला जड़ते हैं और चाबी नदी में फेंक देते हैं। ताकि उनका प्यार हमेशा के लिए ताले की तरह लॉक हो जाए। लेकिन भारत धार्मिक आस्थाओं का देश है। यहां एक मंदिर है, जहां पर श्रद्धालु अपनी इच्छाओं का ताला लगाकर जाते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में -

प्रयागराज में है ये मंदिर
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प्रयागराज में है ये मंदिर

शिवजी को समर्पित यह मंदिर उसी प्रयागराज में है, जहां पर हाल ही में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु फूल, प्रसाद और चमचमाते ताले चढ़ाने के लिए आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु किसी के नाम का ताला लगाकर जाते हैं और इच्छा पूरी होने पर ताला खोलने के लिए वापस भी आते हैं। फिर उस ताले को घर ले जाते हैं।

हर तरफ ताले ही ताले
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हर तरफ ताले ही ताले

मंदिर में ताले से जुड़ा यह रिवाज काफी लोकप्रिय है। यहां इतने अधिक ताले हैं कि श्रद्धालुओं को अपना ताला लगाने के लिए जगह ढूंढ़ने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मंदिर में हर तरफ ताले ही ताले हैं, फिर चाहे वह कोई कमरा हो या आसपास की अन्य जगहें।

ताले वाले महादेव
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ताले वाले महादेव

प्रयागराज के इस मंदिर का नाम श्री नाथेश्वर महादेव मंदिर है। यहां आने वाले श्रद्धालु यहां मौजूद भगवान का ताले वाले महादेव के नाम से भी जानते हैं। महाकुम्भ के दौरान भी कई श्रद्धालुओं ने यहां आकर अपनी मन्नत के ताले लगाए थे।

मंदिर में 50 हजार ताले लगे
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मंदिर में 50 हजार ताले लगे

मंदिर में जिधर देखो ताले ही ताले नजर आते हैं। हालांकि, यहां रेलिंग, रॉड, मंदिर अंदर, बाहर, छत पर और आंगन में कितने ताले हैं, इसकी सही-सही जानकारी नहीं है। मंदिर के महंत शिवम मिश्रा का कहना है कि यहां पर करीब 50 हजार ताले लगे हुए हैं।

100-150 ताले हर रोज लगते हैं
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100-150 ताले हर रोज लगते हैं

महंत के अनुसार यहां पर दूर-दूर से लोग अपनी इच्छाओं को लॉक करने के लिए आते हैं। उनके अनुसार देश के लगभग हर राज्य से यहां श्रद्धालु आते हैं और हर रोज करीब 100-150 ताले यहां नए लगाए जाते हैं। महंत का कहना है कि थाईलैंड और यूके से आए एक-एक श्रद्धालु ने भी यहां पर मन्नत का ताला लगाया है।

कहां पर है मंदिर
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कहां पर है मंदिर

यह मंदिर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम से करीब 6 किमी दूर मुठीगंज इलाके में है। मंदिर एक छोटे से प्लॉट में मौजूद है और आसपास कई बिल्डिंगों के घिरा है। महंत के अनुसार यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और उन्होंने राज्य सरकार से इसका आर्कियोलॉजिकल सर्वे कराने की मांग की है।

ताले की प्रथा कब शुरू हुई
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ताले की प्रथा कब शुरू हुई?

यहां के महंत के अनुसार 2020 तक मंदिर की स्थित बहुत खराब थी। उनका कहना है भगवान की कृपा और गुरुओं के आशीर्वाद से मंदिर को उसके मौजूदा रूप में लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि साल 2023 में उन्होंने यहां पर पहला ताला लगाया था और उसके बाद से यह प्रथा लगातार चली आ रही है। इससे मंदिर को ताले वाले महादेव मंदिर के रूप में पहचान मिली है। उनका कहना है कि वह हर महीने एक ताला यहां लगाते हैं, लेकिन उनकी कोई मन्नत नहीं होती।

ऑनलाइन ताला लगाने की सुविधा
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ऑनलाइन ताला लगाने की सुविधा

मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु यहां आकर अपने ताले खोल ले जाते हैं। लेकिन कई बार जब उन्हें अपना ताला नहीं मिलता तो वह महादेव से माफी मांगकर अपने ताले की चाभी यहां चढ़ाकर चले जाते हैं। महंत के अनुसार जो लोग यहां नहीं आ सकते, उनके लिए ऑनलाइन सुविधा भी है, उनके नाम से यहां ताला लगा दिया जाता है।

लंदन में भी ताले वाला  ब्रिज
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लंदन में भी ताले वाला ब्रिज

लंदन में भी एक ब्रिज है, जिस पर प्रेमी जोड़े अपने प्यार को दर्शाने के लिए वहां विशेषतौर पर बनाई गई जगह पर ताला लगाते हैं और चाबी नदी में फेंक देते हैं। ताकि उनका प्यार हमेशा के लिए ताले की तरह लॉक हो जाए।

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