Sulah Shayari: जो दोस्त हैं वो मांगते हैं सुलह की दुआ, दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो.., पढ़ें सुलह पर चंद मशहूर शेर

Sulah Par Shayari: सुलह का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह दोनों पक्षों को जीत का अहसास देता है। यह नफरत को प्यार में बदलने का एक शक्तिशाली जरिया है। सुलह से समाज में शांति और एकता बनी रहती है। इसी सुलह पर कई शायरों ने बेहतरीन शेर लिखे हैं।

Sulah Shayari

सुलह पर शायरी

Sulah Shayari in Hindi: सुलह, यानी समझौता, दो पक्षों के बीच विवाद को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की प्रक्रिया है। यह न केवल रिश्तों को बचाती है, बल्कि तनाव और संघर्ष को भी कम करती है। सुलह के लिए खुले दिमाग और क्षमाशीलता की जरूरत होती है। यह ऐसी प्रक्रिया है जो विश्वास, संवाद और सम्मान से पूरी होती है। सुलह रिश्तों में कड़वाहट भी खत्म करती है। सुलह का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह दोनों पक्षों को जीत का अहसास देता है। यह नफरत को प्यार में बदलने का एक शक्तिशाली जरिया है। सुलह से समाज में शांति और एकता बनी रहती है। इसी सुलह पर कई शायरों ने बेहतरीन शेर लिखे हैं। आइए पढ़ते हैं सुलह पर कुछ चुनिंदा शेर:

1. ज़माना हो गया ख़ुद से मुझे लड़ते-झगड़ते

मैं अपने आप से अब सुलह करना चाहता हूँ

- इफ़्तिख़ार आरिफ़

2. जो दोस्त हैं वो मांगते हैं सुलह की दुआ

दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो

- लाला माधव राम जौहर

3. आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल

सुलह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की

- हसरत मोहानी

4. 'मुल्ला' बना दिया है इसे भी महाज़-ए-जंग

इक सुलह का पयाम थी उर्दू जबान कभी

- आनंद नारायण मुल्ला

5. अपने हालात से मैं सुलह तो कर लूं लेकिन

मुझ में रू-पोश जो इक शख़्स है मर जाएगा

- रईस फ़रोग़

6. सुलह जिस से रही मेरी ता-ज़िंदगी

उस का सारे ज़माने से झगड़ा सा था

- ज़ेहरा निगाह

7. मोहब्बत सुलह भी पैकार भी है

ये शाख़-ए-गुल भी है तलवार भी है

- जिगर मुरादाबादी

8. वफ़ा पर दग़ा सुलह में दुश्मनी है

भलाई का हरगिज़ ज़माना नहीं है

- दत्तात्रिया कैफ़ी

9. क्या बुरी है मिरी तक़दीर इलाही तौबा

सुलह का नाम जो लूं और लड़ाई हो जाए

- लाला माधव राम जौहर

10. झगड़ा था जो दिल पे उस को छोड़ा

कुछ सोच के सुलह कर गए हम

- क़लक़ मेरठी

11. सफ़-ए-मुनाफ़िक़ां में फिर वो जा मिला तो क्या अजब

हुई थी सुलह भी ख़मोश इख़्तिलाफ़ की तरह

- मुसव्विर सब्ज़वारी

12. अजीब उस से तअ'ल्लुक़ है क्या कहा जाए

कुछ ऐसी सुलह नहीं है कुछ ऐसी जंग नहीं

- अकबर अली खान अर्शी जादह

13. मुझ बे-गुनह के क़त्ल का आहंग कब तलक

आ अब बिना-ए-सुलह रखें जंग कब तलक

- क़ाएम चांदपुरी

14. फिर वही हम थे वही तुम थे मोहब्बत थे वही

सुलह कर लेते अगर आंखें लड़ाने के लिए

- ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर

15. हुई गर सुलह भी तो भी रही जंग

मिला जब दिल तो आंख उस से लड़ा की

- ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर

बता दें कि सुलह ना सिर्फ आपसी टकराव को खत्म करता है बल्कि फिर से एक नई शुरुआत की गुंजाइश भी पैदा करता है। इसीलिए उम्मीद करते हैं कि आपको सुलह पर लिखे ये मशहूर शेर जरूर पसंद आए होंगे।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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