Independence Day Poems in Hin
Independence Day Poem in Hindi (स्वतंत्रता दिवस की कविता): आज, 15 अगस्त 2024 को देश अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ये दिन भारत देश के देशवासियों के लिए सबले खास होता है। इसी दिन भारत देश को ब्रिटिश हुकूमत से लंबी लड़ाई के बाद आजादी (Independence Day 2024) मिली थी और 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र देश बना था। इसी खुशी के उपलक्ष में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर स्कूल, सरकारी दफ्तरों, कॉलेज, सोसायटी या कैंपस में तिरंगा फहराया जाता है और कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कार्यक्रमों में बच्चे बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं और कविताएं सुनाते हैं। ऐसे में अगर आपका बच्चे भी स्कूल, कॉलेज या सोसाइटी में कविता कॉम्पिटिशन में भाग लेने जा रहे हैं तो उन्हें ये देशभक्ति कविताएं (patriotic Poem) सीखा सकते हैं। यहां 15 अगस्त की 3 सबसे बेहतरीन कविताएं दी गई हैं, जिन्हें आप अपने बच्चों को याद करा सकते हैं।
Independence Day Poems in Hindi
1. रविंद्रनाथ टैगोर
जहां मन भयमुक्त हो
जहां मन भयमुक्त हो और सिर ऊंचा हो
जहाँ ज्ञान मुक्त हो
जहां दुनिया को टुकड़ों में नहीं तोड़ा गया हो
संकीर्ण घरेलू दीवारों द्वारा
जहां शब्द सत्य की गहराई से निकलते हैं
जहां अथक प्रयास पूर्णता की ओर अपनी भुजाएं फैलाता है
जहां तर्क की स्पष्ट धारा ने अपना रास्ता नहीं खोया है
मृत आदत की सुनसान रेगिस्तानी रेत में
जहां मन को तुम्हारे द्वारा आगे बढ़ाया जाता है
सदैव व्यापक विचार और क्रिया में
स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में, मेरे पिता, मेरे देश को जगाओ।
2. एपीजे अब्दुल कलाम
मेरा भारत
हमारा देश ऋषियों की भूमि है,
जो सदियों से वीरता के लिए जाना जाता है।
कोई भी इसका मुकाबला नहीं कर सकता,
इसकी संस्कृति को कोई हरा नहीं सकता।
चाहे कोई भी जाति या धर्म हो,
सभी यहाँ एक साथ रहते हैं।
नदियों, मीठे झरनों,
यह ऊँचे पहाड़ों की भूमि है।
इसके हरे-भरे जंगल सुंदर हैं,
और समृद्धि का स्रोत हैं।
आइए इसके लिए कड़ी मेहनत करें,
इसकी सुरक्षा के लिए, सतर्क रहें।
3. जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय जय हिंद, हमारे हिंद,
विश्व-सरोवर के सौरभमय
प्रिय अरविंद, हमारे हिंद!
तेरे स्रोतों में अक्षय जल
खेतों में है अक्षय धान,
तन से मन से श्रम-विक्रय से,
है समर्थ तेरी संतान।
सबके लिए अभय है जग में
जन-जन में तेरा उत्थान,
वैर किसी के लिए नहीं है,
प्रीति सभी के लिए समान।
गंगा-यमुना के प्रवाह हे
अमल अनिंद्य , हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!
तेरी चक्रपताका नभ में
ऊँची उड़े सदा स्वाधीन,
परंपरा अपने वीरों की
शक्ति हमें दे नित्य नवीन।
सबका सुहित हमारा हित है,
सार्वभौम हम सार्वजनीन;
अपनी इस आसिंधु धरा में
नहीं रहेंगे होकर हीन।
ऊँचे और विनम्र सदा के
हिमगिरि विंध्य, हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!
जय-जय भारतवर्ष प्रणाम!
युग-युग के आदर्श प्रणाम!
शत्-शत् बंधन टूटे आज
बैरी के प्रभु रूठे आज
अंधकार है भाग रहा
जाग रहा है तरुण विहान!
जय जाग्रत् भारत संतान
जय उन्नत जनता सज्ञान
जय मज़दूर, जयति किसान!
वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
धूल भरी इन राहों पर
पीड़ित जन की आहों पर
किए उन्होंने अर्पित प्राण
वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
जब तक जीवन मुक्त न हो
क्रंदन-बंधन मुक्त न हो
जब तक दुनिया बदल न जाए
सुखी शांत संयुक्त न हो—
देशभक्त मतवालों के,
हम सब हिम्मत वालों के,
आगे बढ़ते चलें क़दम,
पर्वत चढ़ते चलें क़दम!