महिला आरक्षण बहाना, OBC हैं निशाना? बोले राहुल गांधी- 90 सचिवों में सिर्फ तीन ओबीसी, यह तो अपमान
Women Reservation Bill: दरअसल, संसद के निचले सदन लोकसभा ने बुधवार को ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी, जिसमें संसद के निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।
Women Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक के मसले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि भारत सरकार में 90 सचिव हैं, जिनमें सिर्फ तीन ओबीसी समुदाय से आते हैं और वे सिर्फ पांच प्रतिशत बजट को नियंत्रित करते हैं। गांधी ने जातीय जनगणना कराने की मांग करते हुए कहा था कि यह तो ओबीसी का अपमान है।
वो 2 मुस्लिम हितैषी सांसद, जिन्होंने किया महिला आरक्षण बिल के विरोध में वोट
बुधवार (20 सितंबर, 2023) को संसद में निचले सदन लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए वह बोले कि इस बिल में अन्य पिछड़े वर्गों यानी कि ओबीसी की औरतों के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि इसके बिना यह विधेयक अधूरा है।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सत्तापक्ष जातीय जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है। बकौल गांधी, ‘‘मेरी नजर में एक चीज (ओबीसी कोटा नहीं होना) इस विधेयक को अपूर्ण बनाती है...मैं चाहता हूं कि इस विधेयक में ओबीसी आरक्षण को शामिल किया जाना चाहिए था।’’
उन्होंने यह भी कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू किया जाए क्योंकि इसके लिए जनगणना और परिसीमन की जरूरत नहीं है। इस बीच, ‘आप’ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार यह विधेयक महिलाओं को ‘बेवकूफ’ बनाने की मंशा से लाई है क्योंकि परिसीमन और जनगणना की शर्तों की वजह से इसे 2039 से पहले लागू ही नहीं किया जा सकता।
दरअसल, संसद के निचले सदन लोकसभा ने बुधवार को ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी, जिसमें संसद के निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।
बिल से जुड़े ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर निचले सदन में करीब आठ घंटे की चर्चा और विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के जवाब के बाद मत विभाजन के जरिए इसे स्वीकृति दी गई। विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े और विरोध में 2 वोट पड़े थे।
वैसे, इस बिल पर भले ही सत्ता और विपक्ष दोनों साथ नजर आए हों, मगर इस विधेयक के जरिए दोनों धड़े अपने-अपने निशाने साध रहे हैं। अर्थ साफ है कि चुनावों (विधानसभा और लोकसभा) से पहले वे अपनी-अपनी राजनीति चमकाने की जुगत में हैं। विपक्ष की ओर से ओबीसी को उनका हक न देने की बात कर के केंद्र को घेरना साफ दिखा है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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