शाह ने छेड़ा नेहरू का जिक्र तो गदगद हुए अधीर: बोले- यह दिन है या रात...सोचा दौड़ जाऊं और शक्कर-शहद खिला दूं

Amit Shah on Jawaharlal Nehru: शाह ने सदन में यह भी बताया कि 1993 के बाद दिल्ली में कभी कांग्रेस और कभी भाजपा की सरकार आईं। यहां अनेक पार्टियों की सरकार रही, मिली जुली सरकारें भी रहीं। मगर राष्ट्रसेवा और जनसेवा करने में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आई।

Amit Shah on Jawaharlal Nehru

सदन के भीतर अपनी बात रखते कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और बीजेपी के अमित शाह।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Amit Shah on Jawaharlal Nehru: देश की राजधानी दिल्ली के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के निचले सदन लोकसभा में गुरुवार (तीन अगस्त, 2023) को अपनी बात रखी। उन्होंने इस दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का भी जिक्र किया, जिसके बाद सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी बेहद खुश नजर आए। उन्होंने बताया कि वह सोच में पड़ गए कि यह दिन था या फिर रात जो शाह नेहरू की तारीफ करने लगे। उनका बस चलता तो वह शाह को शक्कर और शहद खिला देते।

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अधीर को यकीन ही नहीं हुआ कि...चौधरी ने बताया, "शाह नेहरू और कांग्रेस की तारीफ कर रहे थे। मैं इस दौरान सोच रहा था कि हम लोग यह क्या देख रहे हैं। यह है दिन है या फिर रात...मैंने सोचा था कि दौड़कर जाऊं और शाह के मुंह में शक्कर और शहद डाल दूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके मुख से नेहरू और कांग्रेस की तारीफ मेरे लिए आश्चर्य की बात है।"

चौधरी के बयान पर शाह ने दी यह प्रतिक्रियावैसे, केंद्रीय गृह मंत्री ने इस मसले पर साफ किया कि उन्होंने पंडित जी की प्रशंसा नहीं की। उन्होंने तो जो कहा था उसे बस कोट-अनकोट किया...अगर उसे तारीफ माना जा रहा है तब मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

शाह ने क्या कुछ कहा था?:लोकसभा में शाह ने कहा था- दिल्ली की स्थापना 1911 में अंग्रेज शासन द्वारा हुई थी। उन्होंने तब पंजाब प्रांत से दो तहसीलों (महरौली और दिल्ली) को अलग किया था। साल 1919 और साल 1935 में ब्रिटिश सरकार ने चीफ कमिश्नर प्रोविंस का नोटिफिकेशन जारी किया और दिल्ली को चीफ कमिश्नर प्रोविंस के तहत रखा गया।

बकौल शाह, "आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति को दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश संविधान सभा के समक्ष की थी, पर तब पंडित नेहरू, सरदार पटेल, राजा जी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ.अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था कि यह उचित नहीं (दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा) होगा।"

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अभिषेक गुप्ता author

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