'हमें अपने भीतर झांकने की आवश्यकता', आर्ट ऑफ लिविंग के सांस्कृतिक कार्यक्रम में बोले श्री श्री रविशंकर

Global Culture Festival 2023: श्री श्री रविशंकर ने वाशिंगटन डीसी के एक कार्यक्रम में कहा कि जब हम बच्चे थे, तब सबसे पहले हमने गाना शुरू किया था। उसके बाद हमने बोलना शुरू किया था। संगीत हर एक संस्कृति का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। संगीत हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति का भी हिस्सा है।

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श्री श्री रविशंकर बोले- इस धरती पर कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं है।

The Art Of Living News: आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि एक के बाद एक विवाद का समाधान करने के लिए जीवन बहुत छोटा है, विवाद होते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा वॉशिंगटन डी सी में आयोजित वैश्विक सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संगीत हर एक संस्कृति का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। संगीत हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति का भी हिस्सा है।

'हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति का भी हिस्सा है संगीत'

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए रविशंकर ने बोला कि 'हमारी विविधता का उत्सव मनाने का यह बहुत सुन्दर अवसर है। हमारी धरती पर बहुत विविधता है, लेकिन फिर भी हमारे मानव मूल्यों में एक प्रकार की एकता है। एक पुरानी कहावत है कि बुद्धिमान लोग अपना समय समन्वय, सहयोग और मनुष्य की आत्मा का उत्थान करने में व्यतीत करते हैं। वे अपना समय विज्ञान, साहित्य, हास्य, विनोद, संगीत और नृत्य में व्यतीत करते हैं। जब हम बच्चे थे, तब सबसे पहले हमने गाना शुरू किया था। उसके बाद हमने बोलना शुरू किया था। संगीत हर एक संस्कृति का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। संगीत हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति का भी हिस्सा है। और यह आवश्यक है कि हम किसी प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग एवं दृढ़ विश्वास के साथ उत्सव मनाएं।'

रविशंकर बोले, हमें अपने भीतर झांकने की आवश्यकता

उन्होंने आगे बताया कि आज हम देखते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा मुद्दा है। एक ओर आक्रामकता और सामाजिक हिंसा है और दूसरी ओर अवसाद और आत्महत्या करने की प्रवृत्ति है। यह एक ऐसा उत्सव है, जो मन की विसंगतियों से बाहर निकलने में हमारी सहायता कर सकता है। हमें अपने भीतर झांकने की आवश्यकता है। हमें तीन चीजों की आवश्यकता है- पहला, उत्साह। हमें एक महान कार्य करने के लिए उत्साह की आवश्यकता होती है और साथ साथ वैराग्य की भी। वैराग्य में विश्राम है। यदि वैराग्य नहीं है, तो हम अच्छी नींद सो भी नहीं सकते हैं।

इस धरती पर कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं है- रविशंकर

श्री श्री रविशंकर ने बोला कि अमेरिका में एक गीत है- "आई हैव ए ड्रीम"। हम सब यहां स्वप्न देखने वाले हैं। जब हम कोई स्वप्न देखते हैं और हम उसके बारे में सोचते हैं, उसके लिए कुछ कार्य करते हैं, तो वह उत्साह है। लेकिन, जब हम अपने स्वप्न को लेकर अति उत्साहित हो जाते हैं, तब हमें थोड़ा विश्राम करना चाहिए। विश्राम करना और अपने वास्तविक स्वभाव, अपनी आत्मा में वापस आ जाना, जो शांति है, बहुत महत्वपूर्ण है। उत्साह और वैराग्य के बीच की अवस्था में हम कह सकते हैं कि मैं सेवा करने के लिए उपस्थित हूं। हमारे मन में ऐसी भावना होनी चाहिए। इस धरती पर कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं है। हमारे भीतर अच्छाई अन्तर्निहित है, इसे बाहर लाने की आवश्यकता है। और यह तब बाहर आती है, जब हम यह समझते हैं कि सारा विश्व एक परिवार है।

मानसिक चुनौतियों को लेकर क्या बोले रविशंकर?

अकेलापन, तनाव और अन्य मानसिक चुनौतियां आज समाज में सर्वव्याप्त हैं। हमें इन पर ध्यान देना है। आप किसी भी ऐसे व्यक्ति को नजरअंदाज ना करें, जो दुखी है। उनसे ज्ञान के कुछ शब्द कहने से उनके मन की स्थिति बदल जाती है। युद्ध सबसे पहले लोगों के मन में होता है। यदि मन शांत है, तब शांति व्याप्त हो जाती है। आइए, आज हम इस अवसर पर और भी अधिक प्रसन्नता लाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएं। समाज में और भी अधिक प्रसन्नता लेकर आयें। अपने आसपास के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लेकर आयें और उनके आंसू पोंछ दें, यही मानवता है और हम इसी के बने हैं। ज्ञान के बिना किसी उत्सव में गहराई नहीं आती है और वह ज्ञान हम सबके भीतर है। ज्ञान यह पहचानना है कि हम सब अद्भुत हैं और हम सब एक हैं।

'मैं यहां पर क्यों हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?'

आप सबको यहां पर देखना बहुत ही अद्भुत है। बहुत सारे लोग विश्वभर में इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। और मैं बार-बार इस बात को दोहराता हूं कि हम सब एकदूसरे के लिए हैं। आइए, अपने जीवन का उत्सव मनाएं। एक के बाद एक विवाद का समाधान करने के लिए जीवन बहुत छोटा है, विवाद होते हैं और हम एक प्रश्न करते हैं। प्रश्न करना आवश्यक है। जब एक बच्चा तीन वर्ष का होता है, तब वह प्रश्न पूछना शुरू कर देता है। उसकी बुद्धि परिपक्व होने लगती है। लेकिन, जब हम बड़े हो जाते हैं, तो हमारे प्रश्न एक अन्य आयाम ले लेते हैं। मैं यहां पर क्यों हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? मैं अपने जीवन से क्या चाहता हूं? ये परिपक्व प्रश्न हमें गहराई प्रदान करते हैं। इन प्रश्नों से हमारे भीतर करुणा जागती है और मानवता में एकता आती है।

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