चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे इसरो की इस टीम का दिमाग, कामयाबी के लिए दिन-रात की मेहनत

Chandrayaan-3 Mission : चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक समूह की काबिलियत एवं योग्यता रंग लाई। इस टीम के प्रयासों से ही चंद्रयान-3 मिशन सफल हो पाया है। इस चंद्र मिशन में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों की यहां चर्चा करना जरूरी है।

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बुधवार को चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद पर उतरा।

Chandrayaan-3 Mission : चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर सफलतापूर्वक उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। यह कामयाबी हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा और साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बना। भारत की इस कामयाबी पर दुनिया नतमस्तक है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दे रही है लेकिन इस चंद्र मिशन को सफल बनाने के लिए एक नहीं बल्कि इसरो में वैज्ञानिकों की एक टीम ने दिन-रात मेहनत की। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक समूह की काबिलियत एवं योग्यता रंग लाई। इस टीम के प्रयासों से ही चंद्रयान-3 मिशन सफल हो पाया है। इस चंद्र मिशन में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों की यहां चर्चा करना जरूरी है।

एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन एवं टीम लीडर

सोमनाथ की अगुवाई में ही पूरे चंद्र मिशन को अंजाम दिया गया है। 14 जनवरी 2022 को सोमनाथ ने इसरो की कमान संभाली और चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में उतारने की चुनौती के साथ आगे बढ़े। इसरो से पहले वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के प्रमुख थे। साल 2019 में चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग होने के बाद उन्होंने 'सॉफ्ट लैंडिंग' की रणनीति में बदलाव किया। उन्होंने कहा कि हमें सफलता प्राप्त करने की जगह अपनी नाकामियों को दूर करने पर ध्यान लगाना चाहिए। उनकी यह रणनीति रंग लाई। चंद्रयान-2 की 'सॉफ्ट लैंडिंग' की खामियों को उन्होंने दूर किया।

पी वीरामुथुवेल, चंद्र मिशन के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर

पी वीरामुथुवेल इस चंद्र मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। इन्होंने चंद्रयान-2 मिशन में भी अहम भूमिका निभाई। चंद्रयान-3 के नेविगेशन, उसका मार्गदर्शन, कंट्रोल एवं प्रोपल्शन टीम के अलावा उन्होंने कई अहम तकनीकी पहलू उनकी देखरेख एवं मार्गदर्शन में आगे बढ़े। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद उन्होंने कहा कि 'यह खुशी का बहुत बड़ा क्षण है। मिशन के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर के रूप में और टीम की तरफ से मुझे बहुत संतोष हो रहा है। मिशन के बाद से यह प्रोजेक्ट अपने तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ा।'

कल्पना के, डिप्टी प्रोजेक्ट डाइरेक्टर

कल्पना के एक एरोस्पेस इंजीनियर हैं और उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन के लिए डिप्टी प्रोजेक्ट डाइरेक्टर के रूप में काम किया। कल्पना ने भारत के लिए उपग्रहों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। वह चंद्रयान-2 एवं मंगलयान मिशन में भी शामिल रही हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए सर्वाधिक यादगार एवं खुशी का पल है। हमने बिना किसी बाधा के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया।

नीलेश एम देसाई

नीलेश एस देसाई स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर (एसएसी) के प्रमुख हैं। इन्हें अंतरिक्षयान के जटिल एवं महत्वपूर्ण उपकरणों को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। देसाई ने बताया कि उनकी टीम ने चंद्रयान-3 के लिए 11 सेंसर अथवा सबसिस्टम तैयार किया। इनमें से आठ उन्नत कैमरा शामिल हैं। देसाई ने बताया कि इस बार चंद्रयान में लेसर डॉप्लर वेलोसीमिटर जैसा जटिल उपकरण लगाया गया। उन्होंने बताया कि लैंडर विक्रम से बाहर निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान 500 मीटर की दूरी तय करेगा। रोवर में लगे दो सेंसर चंद्रमा की सतह की बनावट की जांच करेंगे। खास बात यह है कि लैंडर एवं रोवर की जांच का डाटा रीयल टाइम में इसरो को प्राप्त होगा।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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