Operation Sindoor के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा पर छिड़ी सियासी बहस; नौसेना रडार स्टेशन का विरोध करने के लिए निशाने पर केटीआर

नौसेना रडार स्टेशन के विरोध का मुद्दा भले ही पुराना है, लेकिन सोशल मीडिया पर बीआरएस नेता केटीआर को जमकर घेरा जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में सियासी बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच नौसेना रडार स्टेशन का विरोध करने के लिए केटीआर निशाने पर आ गए।

KTR BCCL

के.टी. रामाराव (File Photo)

Navy Radar Station Controversy: ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एकजुटता देखी जा रही है। इसी माहौल में बीआरएस नेता के.टी. रामाराव (केटीआर) पर एक बार फिर पुराने फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। ये मामला तेलंगाना में नौसेना के रडार स्टेशन के प्रस्ताव से जुड़ा है, जिसका बीआरएस सरकार ने वर्षों तक विरोध किया और पर्यावरण के नाम पर मंजूरी नहीं दी।

KTR से जुड़ा पुराना विवाद सोशल मीडिया पर छाया

केटीआर ने दमगुंडम के जंगल को "इको-सेंसिटिव ज़ोन" घोषित करने की मांग की थी, जिससे नौसेना की अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना पर रोक लग गई। अब जब देश को अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की जरूरत है, तो जनता और सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि 'क्या यह विरोध भारत की सुरक्षा रणनीति के साथ विश्वासघात नहीं था?'

#KTRBetrayedForces जैसे हैशटैग्स के साथ लोग केटीआर पर जमकर निशाना साध रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ये पुराना मामला खूब वायरल हो रहा है। वहीं, कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सराहना हो रही है, जिन्होंने सत्ता में आते ही इस परियोजना को हरी झंडी दी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को समर्थन दिया।

देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राजनीति कब तक?

इतिहास भी यही दिखाता है- जब बात देश की सुरक्षा की होती है, तो राजनीति पीछे छूट जाती है। 1971 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना दुर्गा मां से की थी। पी.वी. नरसिम्हा राव ने वाजपेयी को UN भेजा था, और अब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी का समर्थन किया है। देश यही चाहता है कि जब सीमा पर संकट हो, तो नेता राजनीति नहीं, देश को प्राथमिकता दें।

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