यूजीसी के मसौदा नियमों के खिलाफ एकजुट हुए विपक्षी दल, जंतर-मंतर पर डीएमके छात्र विंग का विरोध-प्रदर्शन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर अधिसूचना वापस लेने की मांग की और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने विधानसभाओं में यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने को कहा।

UGC rules protest

UGC मसौदा नियम पर हंगामा

Protest Against UGC Draft Rules: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के मसौदा नियमों के खिलाफ विपक्षी दलों ने राजनीतिक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने डीएमके के सांसदों के साथ गुरुवार को दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। डीएमके की छात्र शाखा राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर सुबह 10 बजे यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसमें इंडिया ब्लॉक में शामिल राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए।

तमिलनाडु विधानसभा प्रस्ताव पारित

तमिलनाडु विधानसभा ने भी 9 जनवरी को मसौदा नियमों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मसौदा नियमों को वापस लेने का आग्रह किया गया था। विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा, यह विधानसभा मानती है कि हाल ही में यूजीसी के मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। ये संघवाद के विचार पर हमला है और ये तमिलनाडु की उच्च शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं।

स्टालिन ने धर्मेंद्र प्रधान को लिखा पत्र

स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी पत्र लिखकर अधिसूचना वापस लेने की मांग की और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने विधानसभाओं में यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने को कहा। नियमों में निजी क्षेत्र सहित गैर-शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को इस पद के लिए चुने जाने की अनुमति देने की परिकल्पना की गई है, जिससे राज्यों को डर है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को अपनी विचारधारा के मुखर समर्थकों को नियुक्त करने का साहस मिलेगा, जिनके पास आवश्यक शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव की कमी हो सकती है।

वल्लुवर कोट्टम में विरोध प्रदर्शन

इससे पहले, 10 जनवरी को डीएमके की छात्र शाखा ने यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ तमिलनाडु के चेन्नई स्थित वल्लुवर कोट्टम में विरोध प्रदर्शन किया था और दावा किया था कि ये संघवाद की भावना के खिलाफ हैं। यूजीसी के नए मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, अभ्यर्थी अपनी पसंद के विषय में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण करके उच्च संस्थानों में संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों।

दिशा-निर्देशों में कुलपतियों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें शैक्षणिक जगत, अनुसंधान संस्थानों, सार्वजनिक नीति, लोक प्रशासन और उद्योग से जुड़े पेशेवरों को शामिल करने के लिए पात्रता मानदंडों का विस्तार करना भी शामिल है। 10 जनवरी को यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने संशोधित नियमों का बचाव करते हुए इस बात पर जोर दिया कि संशोधित प्रक्रिया अस्पष्टता को समाप्त करती है और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।

उन्होंने कहा कि समिति में तीन सदस्य होंगे, एक कुलाधिपति द्वारा नामित, एक यूजीसी अध्यक्ष द्वारा नामित, और एक विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद या सीनेट द्वारा नामित। शिक्षकों के एक वर्ग और राज्य सरकारों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कुमार ने दोहराया कि यह संरचना अस्पष्टता को समाप्त करती है और अधिक पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।

छह राज्यों ने जताया विरोध

गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्यों के मंत्रियों ने यूजीसी की इस पहल को सार्वजनिक विश्वविद्यालय मामलों में राज्य सरकारों की स्वायत्तता के लिए नुकसानदायक बताया है। बेंगलुरु में आयोजित उच्च शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल और तमिलनाडु के मंत्रियों ने भाग लिया था। कॉन्क्लेव में सर्वसम्मति से कहा गया कि मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने कहा, यह पहली बार है कि सभी समान विचारधारा वाले राज्य, अपने हितों की रक्षा के लिए, संघवाद को बनाए रखने के लिए एकत्र हुए हैं।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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