क्या कांग्रेस और केजरीवाल को एक कर पाएंगे नीतीश? एक महीने में दूसरी मुलाकात

Nitish Kumar meets Delhi CM Arvind Kejriwal: विपक्ष को एक करने में जुटे नीतीश की बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को एक मंच पर लाना है। यही कारण है कि नीतीश बार-बार केजरीवाल से मुलाकात कर रहे हैं। एक महीने के अंदर दोनों के बीच दो मुलाकातों को विपक्षी एकता की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है।

Updated May 21, 2023 | 01:30 PM IST

Nitish Kumar meets Delhi CM Arvind Kejriwal

नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल के बीच मुलाकात

Nitish Kumar meets Delhi CM Arvind Kejriwal: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक एक दिन बार बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं। विपक्ष को एक करने में जुटी नीतीश कुमार ने दिल्ली में सबसे पहले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। बता दें 12 अप्रैल को भी दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई थी। करीब एक महीने के अंदर दो मुलाकातों को विपक्षी एकता की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि विपक्ष को एक करने में जुटे नीतीश की बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को एक मंच पर लाना है। यही कारण है कि नीतीश बार-बार केजरीवाल से मुलाकात कर रहे हैं। दरअसल, दोनों पार्टियां एक-दूसरे का विरोध करती नजर आई हैं। इसकी बानगी कल बेंगलुरू में भी देखने को मिली, जब कांग्रेस की ओर से तमाम विपक्षी दलों को शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण भेजा गया था, लेकिन केरजीवाल की आम आदमी पार्टी को न्यौता नहीं दिया गया था।

क्या बोले नीतीश कुमार

केजरीवाल से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार मीडिया से मुखातिब हुए। दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर नीतीश केजरीवाल के साथ खड़े दिखाई दिए। उन्होंने कहा, एक चुनी हुई सरकार को दी गई शक्तियां कैसे छीनी जा सकती हैं? यह संविधान के खिलाफ है। हम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं। हम देश के सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।

केजरीवाल ने नीतीश से मुलाकात के बाद क्या कहा?
अरविंद केजरीवाल ने कहा, केंद्र द्वारा दिल्ली के पक्ष में SC के आदेश को नकारते हुए अध्यादेश लाने के मुद्दे पर नीतीश कुमार जी दिल्ली की जनता के साथ खड़े हैं।
अगर केंद्र इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में लाता है तो सभी गैर-बीजेपी दल एक साथ आते हैं तो राज्यसभा में उसे पारित होने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, अगर ऐसा होता है तो यह संदेश जा सकता है कि 2024 में बीजेपी की सरकार गिरने वाली है।
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