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CJI Gavai पर हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट के एसोसिएशन ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, नफरत फैलाने वालों पर तुरंत कार्रवाई की मांग

वकीलों के संगठन सुप्रीम कोर्ट आर्ग्युइंग काउंसिल एसोसिएशन ने देश में बढ़ रही नफरत और उग्रवाद की घटनाओं को लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

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फाइल फोटो: pti

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के संगठन सुप्रीम कोर्ट आर्ग्युइंग काउंसिल एसोसिएशन (SCACA) ने देश में बढ़ रही नफरत और उग्रवाद की घटनाओं को लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। संगठन ने कहा है कि अगर देश के सर्वोच्च न्यायालय परिसर में भी सुरक्षा में सेंध लग रही है, तो यह व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। एसोसिएशन ने राष्ट्रपति से तुरंत सख्त कदम उठाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट में हुई घटना पर जताई गहरी चिंता

संगठन ने अपने पत्र में लिखा कि 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुई घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। यह वही जगह है जिसे न्याय का सबसे ऊंचा मंदिर कहा जाता है और जो देश के सबसे सुरक्षित इलाकों में गिना जाता है। पत्र में कहा गया कि अगर मुख्य न्यायाधीश (CJI) तक सुरक्षित नहीं हैं, तो यह प्रशासनिक विफलता के गंभीर संकेत है।

पत्र में आगे कहा गया कि हाल के दिनों में कई तथाकथित धार्मिक नेता और कई चेहरे खुलेआम संविधान और कानून की अवहेलना कर रहे हैं। वे मंचों से भड़काऊ बयान दे रहे हैं, जिससे समाज में डर और अविश्वास का माहौल बन गया है।

राष्ट्रपति से की गई ये प्रमुख मांगें

पत्र में राष्ट्रपति से आग्रह किया गया है कि वह अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सरकार और संबंधित एजेंसियों को आवश्यक निर्देश दें। एसोसिएशन ने अपनी मांगों में निम्न बिंदु शामिल किए हैं:

1. सुप्रीम कोर्ट परिसर के हाई सिक्योरिटी जोन की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारियों को तत्काल हटाया जाए।

2. सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों के लापरवाह कर्मियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई हो।

3. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अदालत परिसर में उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएं।

4. 6 अक्टूबर की घटना में शामिल सभी लोगों को तत्काल गिरफ्तार कर कानून के तहत कार्रवाई की जाए।

5. मुख्य न्यायाधीश या किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जाति या किसी अन्य आधार पर निशाना बनाने वालों पर कठोर दंड दिया जाए।

संविधान की गरिमा की रक्षा जरूरी

एसोसिएशन ने पत्र में लिखा है कि भारत के लोग राष्ट्रपति के पद को संविधान के संरक्षक के रूप में देखते हैं। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि राष्ट्रपति का समय पर हस्तक्षेप न्याय प्रणाली में जनता का भरोसा बहाल करेगा और संविधान की सर्वोच्चता को दोबारा स्थापित करेगा।

पत्र पर एसोसिएशन की अध्यक्ष परीना स्वरूप, उपाध्यक्ष उमेश बाबू चौरेसिया, महासचिव एडवोकेट वरुण ठाकुर, और कोषाध्यक्ष डॉ. भीम प्रताप सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।

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लेटेस्ट न्यूज

गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव Author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना... और देखें

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