Aditya L1: लॉन्चिंग के लिए तैयार आदित्य एल 1, इन 10 प्वाइंट में समझें मिशन की ABCD
आदित्य एल1 मिशन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया जाएगा। जानिए 10 बड़ी बातें।
Aditya L1 मिशन की हर बात जानिए
Aditya L1 Mission: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूर्य मिशन शुरू कर रहा है। 2 सितंबर को आदित्य एल1 की लॉन्चिंग है और इसे लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस मिशन का लक्ष्य सूर्य का अध्ययन करना है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन है। प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुक्रवार को शुरू हो गई है। भारत का पहला सौर मिशन 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च होने वाला है। आपको समझाते हैं कि इस मिशन की अहम बातें और क्या है इसका लक्ष्य।
जानिए 10 बड़ी बातें
- आदित्य-एल1 को सूर्य की सबसे बाहरी परत के अवलोकन के लिए तैयार किया गया है।
- आदित्य एल 1 जिस L1 प्वाइंट पर जाकर सूर्य किरणों और हवाओं का अध्ययन करेगा, वह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
- लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में स्थित ऐसे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
- आदित्य L-1, 2 सितंबर को जब अपनी यात्रा शुरू करेगा तो उसके करीब 4 महीने बाद यानी जनवरी 2024 को वह अपनी तय पोजिशन पर पहुंचेगा। आदित्य एल 1 सूरज और धरती के बीच लैग्रेंज प्वाइंट (L) 1 पर रुकेगा और यहीं से सूर्य का अध्ययन करेगा।
- आदित्य एल1 को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी57 को श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड पर ले जाया गया है। Aditya L1 के व्हीकल इंटरनल चेक पूरे हो गए हैं।
- 2019 में सरकार द्वारा आवंटित किए गए बजट को देखा जाय तो यह चंद्रयान-3 मिशन से करीब आधा है। सरकार ने आदित्य L-1 मिशन के लिए 4.6 करोड़ डॉलर यानी करीब 378 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
- आदित्य-एल1 को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे।
- आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी है। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) ने पेलोड का विकास किया है, जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पेलोड इस मिशन के लिए विकसित किया है।
- इसरो के अनुसार, वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है।
- लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है।
चंद्रयान-3 की सफलता ने इसरो को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है, अब पूरे देश-दुनिया की निगाहें आदित्य एल1 मिशन पर लगी हुई हैं। काउंटडाउन शुरू हो चुका है और 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया जाएगा। अगर मिशन सफल रहता है तो इसरो सूर्य के अध्ययन की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
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