ट्रंप से टैरिफ की 'मार' पड़ी तो चीन को याद आने लगे पड़ोसी, भारत-वियतनाम सबकी खुशामद कर रहा 'ड्रैगन'
Trump Tarrif War : कल तक अपने पड़ोसियों को आंखें दिखाने, डराने-धमकाने वाले चीन के सुर नरम और बदल गए हैं। वह चिकनी-चिपुड़ी बातें करना लगा है। पड़ोसी देश उसे अपना लगने लगे हैं। उसके व्यवहार में आया यह बदलाव लोगों को हैरान कर रहा है। यह बदलाव बे-वजह नहीं है।

ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बहुत बढ़ा दिया है।
Trump Tarrif War : कल तक अपने पड़ोसियों को आंखें दिखाने, डराने-धमकाने वाले चीन के सुर नरम और बदल गए हैं। वह चिकनी-चिपुड़ी बातें करना लगा है। पड़ोसी देश उसे अपना लगने लगे हैं। उसके व्यवहार में आया यह बदलाव लोगों को हैरान कर रहा है। यह बदलाव बे-वजह नहीं है। माना जा रहा है कि चीन के इस रवैये में बदलाव के पीछे ट्रंप का टैरिफ बौछार है। ट्रंप आए दिन उस पर टैरिफ बढ़ाते जा रहे हैं। अब चीनी सामानों पर ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर 245 प्रतिशत कर दिया है। एक टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई करते ही ट्रंप उस पर टैरिफ का नया प्रहार कर दे रहे हैं। वह उसे संभलने का मौका नहीं दे रहे हैं।
ट्रंप जिस तरह से चीन पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं, और चीन भी जिस तरह से पलटवार कर रहा है, उसे देखने से तो यही लगता है कि टैरिफ का यह युद्ध अभी थमने वाला नहीं है, यह और बढ़ेगा। दूसरा, ट्रंप ने बाकी देशों को टैरिफ पर 90 दिनों की राहत दी है, चीन को छोड़कर अमेरिका आने वाले उत्पादों पर उन्होंने 10 फीसदी टैरिफ लगाया है लेकिन चीन पर टैरिफ बढ़ता जा रहा है। ऐसा लगता है कि ट्रंप के निशाने पर चीन है, वह उसकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के साथ-साथ उसकी आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन को झकझोर देना चाहते हैं। कहीं न कहीं चीन को यह बात समझ में आ गई है कि अमेरिका और दुनिया भर में माल भेजकर जो वह अकूत कमाई कर रहा था, उस पर ट्रंप की नजर टेढ़ी हो गई है। वह उसकी कमाई पर कटौती करना चाहते हैं। चीन इसके खिलाफ लड़ भी रहा है लेकिन वह यह भी जानता है कि अमेरिका के साथ-साथ कारोबार पर उसके अपने पड़ोसी और अन्य देशों के साथ अगर किसी तरह का टकराव बढ़ा तो उसे कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ेगा और इससे उसे काफी नुकसान हो सकता है।
इसलिए वह भारत, वियतनाम सहित बाकी देशों के साथ मधुर, अच्छे रिश्ते और साथ मिलकर कारोबार करने की बात कर रहा है। बीते दो अप्रैल को ट्रंप ने जब टैरिफ की घोषणा की तो उसमें भारत का भी नाम था। इस पर चीन ने कहा कि हाथी यानी भारत और ड्रैगन यानी चीन को साथ मिलकर डांस करना चाहिए। मतलब यह कि दोनों को एक होकर इस मुश्किल घड़ी का सामना और कारोबार करना चाहिए। ट्रंप के टैरिफ पर चीन यही बताने की कोशिश कर रहा है, देखो अमेरिका ने तुम पर भी टैरिफ लगा दिया। ऐसे में हम सभी लोगों को एक हो जाना चाहिए और उसका मुकाबला करना चाहिए। लेकिन कोई भी देश उस पर भरोसा नहीं कर रहा है। उसकी दाल नहीं गल रही है। वह हाथ-पांव मार रहा है। वह अपने बाजारों को पकड़कर रखना चाता है। इसी कड़ी में जिनपिंग का वियतनाम दौरा अहम माना जा रहा है। हालांकि, उनका यह दौरा पहले से तय था लेकिन ट्रंप के टैरिफ वार के बीच चीनी राष्ट्रपति के इस दौरे की अहमियत काफी बढ़ गई है।
वियतनाम में भी जिनपिंग ने वही बात बोली जो ट्रंप के टैरिफ पर चीन की शिकायत है। यहां अमेरिका का नाम तो उन्होंने नहीं लिया लेकिन उनका इशारा साफ था कि वियतनाम ट्रंप के टैरिफ का विरोध करे और वह भी उसी के जैसा टैरिफ लगाए। ट्रंप ने वियतनाम पर 46 फीसदी टैरिफ लगाया है लेकिन बाकी देशों की तरह इस देश को भी टैरिफ से 90 दिनों की छूट मिली हुई है। जिनपिंग ने कहा कि मुख्य व्यापार के वैश्विक व्यवस्था को एक देश डरा धमका रहा है। उन्होंने वियतनाम के नेताओं से अमेरिका को जवाब देने के लिए कहा। वियतनाम के बाद जिनपिंग मलेशिया और कंबोडिया के दौरे पर भी जाएंगे। सवाल है कि आखिर जिनपिंग वियतनाम क्यों गए। तो इसकी एक बड़ी वजह है। हाल के वर्षों में वियतनाम की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से विकसित हुई है। यह दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। दूसरा, वियतनाम की अर्थव्यवस्था भी निर्यात आधारित है। यानी यह देश भी चीन की तरह खरीदता कम और बेचता ज्यादा है। वियतनाम ज्यादातर अपना उत्पाद अमेरिका, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ को निर्यात करता है। यहां से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स जिनमें मोबाइल फोन, कंप्यूटर शामिल हैं, इन देशों को भेजता है। इसके अलावा वस्त्र, कृषि और समुद्री उत्पाद भी यह देश निर्यात करता है।
वियतनाम के साथ अमेरिका और चीन के होने वाले कारोबार को अगर देखें तो अमेरिका के साथ वियतनाम का व्यापार असंतुलन बहुत ज्यादा है। यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में दोनों देशों के बीच 149.6 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। इसी साल अमेरिका ने वियतनाम को 13.1 अरब डॉलर के निर्यात किए। जबकि यतनाम ने अमेरिका को 136.6 अरब डॉलर का निर्यात किया। इस तरह 2024 में वियतनाम से अमेरिका को 123.5 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ। घाटे की यह कहानी करीब हर साल एक जैसी है। यानी वियतनाम भी चीन से मोटी कमाई करता आया है।
चीन और वियतनाम के बीच कारोबार की अगर बात करें तो 2023 में चीन ने 137.61 अरब डॉलर का निर्यात वियतनाम को किया। चीन और वियतनाम के बीच व्यापारिक संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 205.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 33.3 अरब डॉलर की वृद्धि है। यह पहली बार है जब वियतनाम ने किसी देश के साथ 200 अरब डॉलर बिलियन से अधिक का व्यापार किया। 2024 में वियतनाम ने चीन को 61.2 अरब डॉलर का निर्यात किया। जबकि वियतनाम ने चीन से 144 अरब डॉलर का आयात किया। यह आयात में 30.1% की वृद्धि है। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा 82.8 अरब डॉलर का है जो पिछले वर्ष की तुलना में 33.5 अरब डॉलर ज्यादा है।
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