India Pride Imli: कभी-कभी सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं होता, बल्कि आईना बन जाता है। जो दिखाता है कि भारत की असली ताकत उसके गांवों, मिट्टी की खुशबू और सपने देखने वाली बेटियों में है। निर्देशक स्वतंत्र गोयल की फिल्म “इंडिया प्राइड इमली – द आर्चर” ऐसी ही एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी है, जो गांव की एक साधारण लड़की के असाधारण सफर को बड़े पर्दे पर उतारती है।
कहानी
कहानी इमली (प्रसन्ना बिष्ट) की है, जो एक छोटे से आदिवासी गांव में रहती है। उसकी जिंदगी सादगी से भरी है, लेकिन उसके पास एक अनोखी प्रतिभा है — तीरंदाजी। उसकी यह कला तब सामने आती है जब एक सरकारी अधिकारी उसकी प्रतिभा को पहचानता है और उसे कोच अय्यर (विक्रम कोच्चर) के पास भेजता है। अय्यर उसे तीरंदाजी के खेल में नई दिशा देते हैं, और यहीं से शुरू होता है इमली का सफर — संघर्षों, उम्मीदों और आत्मसम्मान की तलाश का। फिल्म फ्लैशबैक और वर्तमान के बीच चलती है, जिसमें इमली के गांव की सादगी और खेल की दुनिया की जटिलता को समान रूप से दिखाया गया है। कहानी इस बात पर जोर देती है कि असली जीत मेडल या ट्रॉफी नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और सम्मान है।
निर्देशन और प्रस्तुति
निर्देशक स्वतंत्र गोयल ने फिल्म को सादगी और ईमानदारी से पेश किया है। उन्होंने तीरंदाजी को जीवन के प्रतीक की तरह दिखाया है — हर निशाना एक संघर्ष, हर तीर एक उम्मीद। फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा चलता है, लेकिन दूसरा हिस्सा पूरी तरह भावनात्मक पकड़ बना लेता है। खासकर इमली और उसके कोच अय्यर के बीच के सीन दर्शकों को गहराई से छू जाते हैं।
अभिनय और तकनीकी पहलू
इमली के रूप में प्रसन्ना बिष्ट ने बेहतरीन काम किया है। वो कहीं से भी एक्ट्रेस नहीं लगतीं, बल्कि गांव की एक सच्ची, भावनात्मक और जिद्दी लड़की नजर आती हैं। विक्रम कोच्चर एक सख्त लेकिन संवेदनशील कोच के रूप में प्रभाव छोड़ते हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है — गांव की गलियां, बारिश से भीगी मिट्टी और तीरंदाजी के मैदान असली लगते हैं। बैकग्राउंड म्यूज़िक भी कहानी के साथ मेल खाता है।
कमज़ोरियां और संदेश
फिल्म का पहला हाफ थोड़ा लंबा है और कुछ सीन अनुमानित लगते हैं। संवादों में थोड़ी और गहराई हो सकती थी। लेकिन फिल्म का संदेश मजबूत है, “काबिलियत का कोई धर्म या जात नहीं होती।”
अंतिम राय
“इंडिया प्राइड इमली – द आर्चर” सिर्फ एक खेल फिल्म नहीं, बल्कि उम्मीद और समानता की कहानी है। यह फिल्म बताती है कि सपने सिर्फ शहरों में नहीं, बल्कि गांवों में भी पलते हैं , बस किसी को उन पर भरोसा करना होता है। हमारी तरफ से फिल्म को 3 स्टार दिए जा रहे हैं।
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