Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र की लड़ाई कांग्रेस के लिए चुनौती भरी, लोकसभा चुनाव जैसी जीत पर टिकी नजर
Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस खुद को बड़े भाई की तरह बनाकर रखना चाह रहा है, जो उसके लिए चुनौतीपूर्ण है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह परिणाम चाहती है।
सांकेतिक फोटो।
Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लिए महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में “बड़े भाई” की भूमिका को बनाए रखना आसान नहीं है। 2019 के चुनावों में बदले समीकरणों के चलते कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट (यूबीटी) के साथ गठबंधन में तीसरे स्थान पर आ गई थी। हालांकि, हाल के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के बाद पार्टी कुछ हद तक गठबंधन में अपने बड़े भाई की भूमिका फिर से हासिल करने में सफल रही है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इस समय एमवीए गठबंधन में सबसे ज्यादा 104 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उद्धव ठाकरे का यूबीटी 94 सीटों पर मैदान में है।
कैसी थी 2019 की स्थिति?
2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा था। कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल 44 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके विपरीत, एनसीपी ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा और 54 सीटों पर जीत दर्ज की, जो गठबंधन में कांग्रेस से बेहतर स्थिति में रही। हालांकि, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 सीटों में से 13 पर जीत दर्ज की, जिससे पार्टी ने विधानसभा चुनावों में भी अपने लिए बेहतर संभावनाएं देखीं।
मुख्यमंत्री को लेकर फंस सकता पेंच
कांग्रेस की एमवीए में “बड़े भाई” की भूमिका बनाए रखने वाली स्थिति उसके प्रदर्शन और सीटों की संख्या पर निर्भर करेगा। एमवीए के मौजूदा फॉर्मूले के अनुसार, सरकार गठन के लिए सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी मुख्यमंत्री का नाम प्रस्तावित करेगी। यदि कांग्रेस एमवीए में कम सीटों पर जीतती है, तो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करने की उसकी संभावना कम हो जाएगी।
शरद पवार कर सकते हैं दावेदारी
भले ही एनसीपी ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी नहीं की हो, लेकिन आगामी समय में शरद पवार सुप्रिया सुले का मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए आगे कर सकते है। शरद पवार 2004 के उदाहरण को भी सामने रख सकते हैं। जब एनसीपी की ज्यादा सीटें होने के बावजूद कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे। महाविकास अघाड़ी में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए सबसे ज्यादा सीटें जीतना ही मुख्य आधार होगा। कांग्रेस को अगर इस गठबंधन में अपना रुतबा बरकरार रखना है, तो उसे बेहतर प्रदर्शन के साथ अधिकतम सीटें जीतनी होंगी। पिछले विधानसभा चुनावों में उसका स्ट्राइक रेट कमजोर रहा था, जो उसकी मौजूदा स्थिति के लिए चुनौती का संकेत है।
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