Dr APJ Abdul Kalam Biography, Jivan Parichay In Hindi: डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी
Dr APJ Abdul Kalam Biography, Jivan Parichay In Hindi (डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी): सपने पूरे हों इसके लिए पहले उन्हें देखना जरूरी होता है...कल यानी 15 अक्टूबर 2025 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मनाई जा (Dr APJ Abdul Kalam Biography) रही है। उनका पूरा नाम डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। कलाम साहब को साइंस की दुनिया में मिसाइल मैन कहा (Dr APJ Abdul Kalam Jivan Parichay) जाता था, जबकि राजनीतिक गलियारों में उनकी पहचान पीपल्स प्रेसिडेंट के तौर पर बनीं।वह ना केवल भारत के 11वें राष्ट्रपति थे बल्कि एक प्रसिद्ध वैज्ञानि भी थे। उन्होंने अपने जीवन से यह सिखाया कि परिस्थितयां कितनी भी कठिन क्यों ना हों लेकिन यदि आपके हौंसले बुलंद हैं तो सफलता मिलनी तय है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम (तमिलनाडु) में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन नाविक थे और माता आशियम्मा एक गृहिणी थी। कलाम साहब पांच भाई बहनो में सबसे छोटे थे। उनका बचपन संघर्षों से भरा था। वह पढ़ाई के लिए लंबी दूरी पैदल चलकर जाते थे और अपने पारिवार की आर्थिक मदद के लिए शहर में अखबार भी बांटते थे। वहीं कलाम साहब के एजुकेशन क्वालिफिकेशन की बात करें तो रामेश्वरम में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1954 में त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की थी। फिर 1957 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। छोटी उम्र से ही उन्हें हवाई जहाज, रॉकेट और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी।
आसमान में चिड़ियों को उड़ता हुआ देखना उन्हें खुब भाता था। यही कारण था कि वह एक दिन क्लास में टीचर से पूछ बैठे कि आखिर ये चिड़िया उड़ती कैसे हैं। कलाम साहब के इस सवाल का जवाब समझाने के लिए उनके टीचर सुब्रमण्यम अय्यर पूरी क्लास के बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए और पूरी तकनीक बताई। साथ ही उन्होंने पक्षियों के शरीर के बनावट के बारे में भी विस्तार से बताया। नन्हें कलाम को उस दिन ना केवल सिर्फ अपने सवाल का जवाब मिला बल्कि मासूम आंखों को एक सपना भी मिल गया था।
कहा जाता है कि नन्हें कलाम को रोटियां खाना बेहद पसंद था। हालांकि इस क्षेत्र में चावल की फसल अच्छी होती थी। लेकिन उनकी मां दो रोटियों का इंतजाम जरूर कर लेती थी। एक दिन मां ने अपने हिस्से की रोटियां उन्हें परोस दी, उन्हें यह बात अपने भाई से पता चली और वह भावुक हो गए थे। कलाम साहब को महज 10 से 12 वर्ष की आयु में अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हो गया था। पिता जैनुलाब्दीन पेशे से नाविक थे। यहां आने जाने वाले यात्रियों को नाव किराए पर देते थे, लेकिन चक्रवात के चलते नाव भी टूट गई थी। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई थी। ऐसे में अपनी पढ़ाई जारी रखने व घर का खर्च उठाने के लिए कलाम साहब सुबह अखबार बांटा करते थे।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने करीब चार दशक तक भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में काम किया। इसरो में उन्होंने परियोजना निदेशक के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कलाम साहब जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और पूरी दुनिया को महाशक्ति बनने का एहसास दिलाया।
इसके अलावा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति का पद भी संभाला था। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक थे, जिन्होंने 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों में मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। इतना ही नहीं कलाम साहब को प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न (1997) से सम्मानित किया जा चुका है।
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