6 जिले 57 कंपनियां, बनेगी मिसाइल, गोला-बारूद और ड्रोन; तैयार होने वाला है UP डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

UP Defense Industrial Corridor: यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भारत की रक्षा जरूरतों के साथ ही रोजगार के नए द्वार खोलेगा। कॉरिडोर के छह नोड्स (लखनऊ, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, आगरा और चित्रकूट) में 57 कंपनियों के निवेश और बड़ी संख्या में युवाओं के रोजगार सृजन की व्यापक योजना कार्यान्वित हो रही है

UP Defense Industrial Corridor

(फाइल फोटो)

UP Defense Industrial Corridor: पाकिस्तान के साथ मौजूदा संबंधों को देखते हुए भारत अपनी हर आवश्यक रक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है। निकट भविष्य में भारत की इन सभी जरूरतों को पूरा करने में उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर न सिर्फ रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, बल्कि प्रदेश में रोजगार सृजन का भी मजबूत आधार तैयार कर रहा है। इस कॉरिडोर के तहत अब तक 170 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के माध्यम से करीब 30 हजार करोड़ रुपए का अनुमानित निवेश आकर्षित किया गया है, जिससे लगभग 50 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

57 कंपनियां करेंगी निवेश

यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत अब तक 57 निवेशकों को भूमि पट्टे पर आवंटित की गई है, जो अपनी उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के विभिन्न चरणों में हैं। इन इकाइयों के माध्यम से 9,462.8 करोड़ रुपए का निवेश जमीनी स्तर पर साकार हो चुका है, जिससे 13,736 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। उल्लेखनीय है कि पहला पट्टा जून 2021 में निष्पादित किया गया था और मात्र चार वर्षों से कम समय में 57 उद्योग इस कॉरिडोर में अपनी सुविधाएं विकसित कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है, बल्कि भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। कॉरिडोर में स्थापित होने वाली इकाइयां भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए आधुनिक उपकरण और हथियारों का निर्माण करेंगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।

योगी सरकार का लक्ष्य कॉरिडोर के सभी नोड्स में निवेश और रोजगार के अवसरों को और विस्तार देना है। इसके अलावा, आगरा और चित्रकूट नोड्स में भी जल्द ही भूमि आवंटन और उद्योग स्थापना की प्रक्रिया तेज की जाएगी। यह कॉरिडोर न केवल प्रदेश को औद्योगिक हब के रूप में स्थापित कर रहा है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोल रहा है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करने की दिशा में भी एक ठोस कदम है।

कहां होगा निवेश?

कॉरिडोर के छह नोड्स (लखनऊ, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, आगरा और चित्रकूट) में निवेश और रोजगार सृजन की व्यापक योजना कार्यान्वित हो रही है। प्रत्येक नोड में विशिष्ट रक्षा उत्पादों के निर्माण की दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है।

झांसी नोड में 16 कंपनियों को 531.09 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसके तहत 4,372.81 करोड़ रुपए का निवेश और 2,928 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रस्तावित है। यहां विस्फोटक, गोला-बारूद, प्रणोदन प्रणाली और मिड-कैलिबर इन्फैंट्री हथियारों के लिए मोबाइल प्लेटफॉर्म जैसे उद्यम स्थापित होंगे।

कानपुर नोड में 5 कंपनियों को 210.60 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिससे 1,758 करोड़ रुपए का निवेश और 2,200 लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां छोटे, मध्यम और बड़े साइज के गोला-बारूद, बुलेटप्रूफ जैकेट, विशेष कपड़े और छोटे हथियारों की इकाइयां स्थापित की जा रही हैं।

अलीगढ़ नोड में सर्वाधिक 24 कंपनियों को 64.001 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसमें 1,921 करोड़ रुपए का निवेश और 5,618 लोगों को रोजगार प्रस्तावित है। यह नोड ड्रोन, लोइटरिंग गोला-बारूद, काउंटर ड्रोन सिस्टम, सटीक उपकरण, मेक्ट्रोनिक्स, छोटे हथियार और रडार निर्माण का केंद्र बन रहा है।

लखनऊ नोड में 12 कंपनियों, जिनमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस भी शामिल है, को 117.35 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। इससे 1,411 करोड़ रुपए का निवेश और 2,930 लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां विश्व की सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के अलावा मिसाइल सिस्टम, गोला-बारूद, रक्षा पैकेजिंग, ड्रोन और छोटे हथियारों का निर्माण होगा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। कानपुर (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited