हिमाचल दवा नियंत्रक मनीष कपूर से टाइम्स नाउ नवभारत की बातचीत
मध्य प्रदेश में कफ सिरप से 22 बच्चों की मौत के बाद तमाम फार्मास्युटिकल कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। कई राज्यों में कफ सिरप मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों पर जांच की आंच पहुंच रही है। इस क्रम में हिमाचल प्रदेश स्थित बद्दी में बनी नेक्सा डीएस कफ सिरप के सैंपल की जांच हुई, जिससे कंपनी पास हुई है। सामने आया कि नेक्सा सिरप पीने से बच्चों की मौत नहीं हुई है। जांच रिपोर्ट आने से हिमाचल ड्रग विभाग ने राहत की सांस ली है। टाइम्स नाऊ नवभारत ने इसी मुद्दे को लेकर हिमाचल के राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर से विशेष बातचीत की।
केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार और ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखकर तमिलनाडु की कफ सिरप कोल्ड्रिफ और बद्दी में बनी नेक्सा डीएस सिरप की जांच करने को कहा था। नेक्सा डीएस एक्वीनोवा फॉर्मा बनाती है। हिमाचल के राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि मध्य प्रदेश ड्रग विभाग ने नेक्सा डीएस सिरप की जांच करवाई, जिसमें दवा को क्लीन चिट दी गई। इसकी रिपोर्ट मध्य प्रदेश के ड्रग विभाग की ओर से उन्हें मिल गई है। नेक्सा डीएस में एथिलीन ग्लाइकॉल और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे हानिकारक रासायनिक तत्वों की मिलावट नहीं पाई गई। वहीं, तमिलनाडु की कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सैंपल मानकों पर सही नहीं पाए गए हैं। इसके चलते इसी दवा को बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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