Warehouses in India: टियर 2 और 3 शहरों में तेजी से बढ़ रहे वेयरहाउस, GST से हुआ फायदा, नई रिपोर्ट में खुलासा

Warehouse Capacity of India: भारत की कुल वेयरहाउसिंग (गोदाम) स्टॉक क्षमता 2024 में बढ़कर 533.1 मिलियन स्क्वायर फीट हो गई है। साथ ही टियर 2 और 3 शहरों का योगदान बढ़कर 100 मिलियन स्क्वायर फीट या 18.7 प्रतिशत हो गया है।

Warehouse Capacity of India

तेजी से बढ़ रहे वेयरहाउस

मुख्य बातें
  • तेजी से बढ़ रहे वेयरहाउस
  • GST से मिल रहा फायदा
  • नई रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

Warehouse Capacity of India: भारत की कुल वेयरहाउसिंग (गोदाम) स्टॉक क्षमता 2024 में बढ़कर 533.1 मिलियन स्क्वायर फीट हो गई है। साथ ही टियर 2 और 3 शहरों का योगदान बढ़कर 100 मिलियन स्क्वायर फीट या 18.7 प्रतिशत हो गया है। यह जानकारी गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई। रियल एस्टेट फर्म जेएलएल की रिपोर्ट में बताया गया कि यह शिफ्ट हब-एंड-स्पोक मॉडल की दिशा में देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो जीएसटी लागू होने के दौरान कल्पना की गई लास्ट-टाइम डिलीवरी क्षमताओं में सुधार करता है।

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वेयरहाउसिंग बाजार में मजबूत वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी लागू होने के बाद से देश के प्रमुख शहरों में वेयरहाउसिंग बाजार में मजबूत वृद्धि हुई है। विकास का विस्तार अब उभरते टियर 2 और 3 शहरों तक हो रहा है क्योंकि लॉजिस्टिक क्षेत्र अब हब और स्पोक मॉडल पर काम कर रहा है। उभरते शहरों में 2024 में मजबूत 100 मिलियन वर्ग फुट का स्टॉक देखा गया, जो 2017 की तुलना चार गुना अधिक है।

शहरों में छोटे वेयरहाउस

इन उभरते शहरों में विकास कई कारकों से प्रेरित है। ई-कॉमर्स बूम, विशेष रूप से 'क्लिक एंड बाय' ट्रेंड, भारत के वेयरहाउसिंग बाजार को बदल रहा है। इससे अंतिम उपभोक्ताओं के नजदीक आपूर्ति केंद्रों की मांग बढ़ गई है। डिलीवरी समय में सुधार और लॉजिस्टिक्स लागत कम करने के लिए कंपनियां इन शहरों में छोटे वेयरहाउस भी स्थापित कर रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ये शहर कम जनसंख्या घनत्व के कारण बड़े स्थानों तक एक्सेस प्रदान करते हैं, जो उपभोग केंद्रों के पास वेयरहाउस के लिए आदर्श हैं।

मैन्युफैक्चरिंग मैककेनिज्म को बढ़ावा

सरकार द्वारा की गई इंफ्रास्ट्रक्चर पहल जैसे पीएम गति शक्ति, भारतमाला, सागरमाला, उड़ान योजना और माल ढुलाई गलियारों के विकास ने वितरण नेटवर्क को अनुकूलित किया है। 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया' और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी जैसे कार्यक्रमों ने देश भर में अनुकूल मैन्युफैक्चरिंग मैककेनिज्म को बढ़ावा दिया है।

प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) और डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) के कारण कंपनियां इन शहरों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं स्थापित कर रही हैं।

अच्छे रिटर्न की पेशकश

जेएलएल में भारत में लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक के प्रमुख, योगेश शेवड़े ने कहा,"यह गति जारी रहने की उम्मीद है, जो महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल से प्रेरित है और यह इन उभरते शहरों को प्रमुख उपभोग केंद्रों से जोड़ रही है। यह तेज विकास लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निवेशकों और डेवलपर्स दोनों के लिए निवेश के अवसर पैदा कर रहा है। यह ट्रेंड न केवल भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य को नया आकार दे रही है, बल्कि इस उभरते बाजार में पूंजी लगाने के लिए तैयार लोगों के लिए अच्छे रिटर्न की पेशकश भी कर रही है।" (इनपुट - आईएएनएस)

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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