National Stock Exchange: भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE की स्थापना में मनमोहन सिंह की थी महत्वपूर्ण भूमिका
Manmohan Singh death: मई 1992 में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की योजनाओं को मंजूरी दी, जिससे भारत के वित्तीय बाजारों का आधुनिकीकरण हुआ और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के प्रभुत्व को चुनौती मिली।
एनएससी की स्थापना में थी मनमोहन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका
Manmohan Singh death: मई 1992 में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय के मुख्यालय नॉर्थ ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित कॉन्फ्रेंस रूम में एक महत्वपूर्ण प्रजेंटेशन में भाग लिया। यह एक ऐसा क्षण था जिसने भारत के फाइनेंशियल परिदृश्य को नया आकार दिया। चर्चा एक क्रांतिकारी प्रस्ताव पर केंद्रित थी। उद्देश्य था एक आधुनिक स्टॉक एक्सचेंज का निर्माण करना जो ट्रेडिंग इकोसिस्टम को बदल देगा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के प्रभुत्व को चुनौती देगा और भारत के पूंजी बाजारों में पारदर्शिता और दक्षता के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा।
इस प्रजेंटेशन का नेतृत्व रवि नारायण ने किया, जो इस असाइनमेंट के लिए चुने गए एक प्रमुख व्यक्ति थे, साथ ही दो सलाहकार थे। आरएच पाटिल , भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) से नारायण के मेंटॉर थे। IDBI के तत्कालीन अध्यक्ष एस एस नादकर्णी भी मौजूद थे। साथ मिलकर उन्होंने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) बनने के लिए खाका पेश किया। लाभ कमाने वाले एक्सचेंज के स्वीडिश मॉडल से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने एक ऐसी सिस्टम की कल्पना की जो भारतीय शेयर बाजारों पर हावी ब्रोकर-संचालित मॉडल से अलग होगी। NSE तरलता बढ़ाने और पूरे देश के लिए एकीकृत ऑर्डर बुक सुनिश्चित करने के लिए ऑर्डर-संचालित दृष्टिकोण अपनाएगा।
इस ट्रांसफॉर्मेशनल जर्नी में मनमोहन सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण थी। भारत के 1991 के आर्थिक सुधारों के शिल्पकार के रूप में मनमोहन सिंह ने उदार अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए वित्तीय बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की जरुरत को समझा। उनकी स्वीकृति, साथ ही नव-अधिकृत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष जी वी रामकृष्ण की स्वीकृति ने NSE को आकार देने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया। आज NSE भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में खड़ा है, जो मनमोहन सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व और उनके दृष्टिकोण के दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
मनमोहन सिंह के 1991 के आर्थिक सुधार
1991 में मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री थे, जब अर्थव्यवस्था को पतन के कगार से बचाने के लिए तीन प्रमुख सुधार - उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण - लाए गए थे। जबकि देश में भारी वित्तीय तनाव था तब मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बढ़ते राजकोषीय और भुगतान संतुलन घाटे और आयात के लिए कुछ ही हफ्तों के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार का सामना करते हुए सरकार ने सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर रुख किया। अपनी तरह का पहला और एकमात्र उदाहरण था धन सुरक्षित करने के लिए सोने के भंडार को गिरवी रखना। गुरुवार की रात मनमोहन सिंह ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वह 92 वर्ष के थे।
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