CBI का 13 बैंकों के अधिकारी और GTIL के खिलाफ एक्शन , 4000 करोड़ का है फ्रॉड

CBI Investigation Against GTIL And Bankers: रिपोर्ट के अनुसार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक के अधिकारी शामिल हैं।

cbi case against 13 banks officials

4000 का लोन फ्रॉड

CBI Investigation Against GTL And Bankers:केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कर्ज धोखाधड़ी के मामले में जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (GTIL) और अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद मुंबई में उसके दफ्तर में तलाशी अभियान चलाया। अधिकारियों के अनुसार एजेंसी की जांच के दायरे में 13 बैंकों के अधिकारी हैं और आरोप है कि उन्होंने कंपनी की गिरवी रखी प्रतिभूतियों से कर्ज वसूली की कोशिश नहीं की और कंपनी के 3234 करोड़ रुपये के कर्ज को केवल 1867 करोड़ रुपये में रिस्ट्रक्चरिंग कंपनी को दे दिया। जबकि वे जीटीआईएल के बकाया कर्ज से संबंधित बातचीत का हिस्सा थे।

कौन से बैंक के अधिकारी शामिल

रिपोर्ट के अनुसार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक के अधिकारी शामिल हैं।सीबीआई ने शुरुआती जांच के बाद FIR दर्ज की है। उसके मुताबिक, शुरुआती जांच में सामने आया कि मनोज तिरोडकर द्वारा प्रवर्तित जीटीआईएल अलग-अलग सेवा प्रदाताओं को जोड़ने में सक्षम ‘पैसिव’ दूरसंचार बुनियादी ढांचा साइट के कारोबार में शामिल हैं।अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में नवी मुंबई में कंपनी के कार्यालय में तलाशी ली गई थी।उन्होंने बताया कि कंपनी पर 19 बैंकों के कंसोर्टियम का 11,263 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 2011 में, इसने ऋण सुविधाओं पर ब्याज और किश्तें चुकाने में असमर्थता व्यक्त की थी।

कर्ज रिस्ट्रक्चरिंग हुई फेल

एफआईआर में कहा गया है कि बैंकों ने कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन का इस्तेमाल किया जो भी विफल रहा।उसमें कहा गया है कि बैंकों ने 2016 में रणनीतिक ऋण पुनर्गठन लागू किया जिसके तहत 11,263 करोड़ रुपये के कर्ज में से 7200 करोड़ रुपये के ऋण को इक्विटी शेयर में तब्दील कर दिया गया और बकाया राशि 4063 करोड़ रुपये रह गई जो जीटीआईएल द्वारा कंसोर्टियम को चुकानी थी।अधिकारियों ने बताया कि जांच में पाया गया कि बड़े स्तर पर कोष को इधर उधर किया गया था और कर्ज लिए गए कोष में विभिन्न विक्रताओं के जरिए हेरफेर की गई और वे जीटीआईएल से जुड़े थे।

बड़ा हेर-फेर

एफआईआर में कहा गया कि विक्रेताओं को दिए गए कोष (वापस नहीं आया और बाद में उसे माफ कर दिया गया) को 2011-2014 तक कथित रूप से यूरोपियन परियोजनाओं में और एविएशन लिमिटिड या जीटीआईएल या इसकी सहयोगी कंपनी चेन्नई नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में निवेश किया गया।ऋणदाताओं का 4,063 करोड़ रुपये का ऋण बकाया था और उन्होंने इसे एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ईएआरसी) को बेचने का प्रस्ताव रखा। उसमें कहा गया है कि इसका केनरा बैंक और कंसोर्टियम में शामिल कुछ अन्य सदस्य ने विरोध किया क्योंकि 2354 करोड़ रुपये की पेशकश को जायज ठहराने के लिए गिरवी रखी गई संपत्तियों का फिर से मूल्यांकन नहीं किया गया था।सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि केनरा बैंक और कंसोर्टियम के कुछ अन्य सदस्यों की आपत्ति के बावजूद बकाया राशि का 79.3 प्रतिशत यानी 3,224 करोड़ रुपये 13 बैंकों द्वारा ईएआरसी को 1,867 करोड़ रुपये में दे दिया गया जिससे बैंकों को भारी नुकसान हुआ।

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