कृषि

'पीले सोने' पर संकट: किसानों को झटका, पैदावार में 20.50 लाख टन की गिरावट का अनुमान, जानिए क्यों?

Yellow Gold Production: देश में ‘पीले सोने’ के रूप में प्रसिद्ध सोयाबीन की पैदावार में इस बार करीब 20.50 लाख टन की गिरावट देखने को मिल सकती है। प्रसंस्करणकर्ताओं के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने वजहें बताईं।

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सोयाबीन की पैदावार में गिरावट का अनुमान (तस्वीर-Canva)

Yellow Gold Production : देश में किसानों के बीच ‘पीले सोने’ के रूप में मशहूर सोयाबीन (Soybean) की पैदावार इस बार करीब 20.50 लाख टन की गिरावट के साथ 105.36 लाख टन पर सिमट सकती है। प्रसंस्करणकर्ताओं के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने सोयाबीन के रकबे और उत्पादकता में कमी के साथ ही फसल पर मौसम की मार का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को यह अनुमान जताया। सोपा ने इंदौर में अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन अधिवेशन के दौरान तेल-तिलहन उद्योग के सैकड़ों प्रतिनिधियों की मौजूदगी में अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट में जताए गए अनुमान के मुताबिक, देश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान 114.56 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया और 920 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत उत्पादकता के साथ इसका उत्पादन 105.36 लाख टन रहा। सोपा के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2024 के खरीफ सत्र के दौरान 118.32 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था और 1,063 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत उत्पादकता के साथ इस तिलहन फसल की पैदावार 125.82 लाख टन रही थी।

सोपा के चेयरमैन डेविश जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस बार सोयाबीन की फसल को मौसम ने काफी नुकसान पहुंचाया। खासकर राजस्थान में मॉनसून की भारी बारिश से सोयाबीन की पैदावार घटकर आधी रह गई। सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक के मुताबिक, कई इलाकों में येलो मोजेक वायरस के प्रकोप ने भी सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाया। प्रमुख उत्पादक मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश से सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई। इसके बाद राज्य सरकार ने इस तिलहन जिंस के लिए भावांतर भुगतान योजना पेश की है।

अगर मंडियों में व्यापारियों द्वारा किसानों के सोयाबीन की खरीद केंद्र के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर की जाती है, तो इस योजना के तहत किसानों को राज्य सरकार के खजाने से दोनों मूल्यों के अंतर का भुगतान किया जाएगा ताकि उनके घाटे की भरपाई हो सके। सोपा के मुताबिक, भारत अपनी कुल खाद्य तेल जरुरत का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है जिस पर हर साल लगभग 1.70 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च होती है।

सोपा ने सरकार से मांग की है कि खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में उन्नत बीजों की मदद से सोयाबीन की पैदावार बढ़ाए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह पिछले मार्केटिंग सत्र के 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के सोयाबीन के एमएसपी के मुकाबले 436 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।

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रामानुज सिंह
रामानुज सिंह Author

रामानुज सिंह टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में बिजनेस डेस्क के इंचार्ज हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वो बिहार के खगड़िया जिले के र... और देखें

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