पुतिन के न्यूक्लियर चक्रव्यूह से क्या जो बाइडेन डर गए, सच्चाई या सिर्फ सियासत

क्या रूस यूक्रेन जंग में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होगा या महज इस तरह के तर्क गढकर अमेरिका किसी खास मकसद को हासिल करना चाहता है। रूस साफ तौर पर कह चुका है कि यूक्रेन को अमेरिका हथियारों के जरिए मदद कर रहा है।

क्या पुतिन ने न्यूक्लियर अटैक का चक्रव्यूह तैयार कर लिया है। क्या एक कहानी खत्म करने के बाद पुतिन दूसरी डरावनी कहानी शुरु करने वाले हैं..ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि एटमी जंग की फाइनल डेट फिक्स हो गई है। पुतिन के एक पैंतरे से अमेरिका से यूरोप तक एटमी खौफ पसरा हुआ है।सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या अब सुपर पावर का फैसला एटम बम से ही होगा।युद्ध में पहली बार पुतिन बैकफुट पर दिख रहे हैं।खेरसान से रूसी फौजें वापस जा रही हैं। यूक्रेन फाइटबैक कर रहा है लेकिन इतना सब होने के बावजूद यूक्रेन के साथ-साथ अमेरिका भी एक अनजाने खतरे से डरा हुआ है।

क्या नाटो देशों में खौफ है

जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही महाजंग के जो मौजूदा हालात हैं इसके भी दो पहलू है यही कारण है कि खेरसा़न से रूसी फौज के हटने के बाद भी अमेरिका-ब्रिटेन और तमाम नाटो देश खौफज़दा हैं।यूक्रेन ने तो शक भी जताया है कि रूस खेरसान से जरूर हट रहा है। लेकिन वो बेलारूस के साथ मिलकर किसी बड़ी प्लानिंग को अंजाम दे रहा है। यूक्रेन का ये डर क्यों वाजिब है उसे इन तस्वीरों में देखिए ये तस्वीरें बेलारूस की हैं जहां की ट्रेन रूसी सैन्य साजो सामान से लदी हुई है। बेलारूस की फौज के साथ मिलकर रुस के सैनिक बैटलफील्ड में दुश्मन के छक्के छुड़ा रहे हैं।जंग की तैयारियो को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं।

अमेरिका में भी कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा जब पुतिन के संभावित परमाणु हमलों को लेकर बाइडेन मीटिंग ना कर रहे हों।बीते कई दिनों में न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर जितने भी बड़े अखबार और मैगजीन हैं सभी में पुतिन के परमाणु अटैक की हेडलाइंस गढ़ी जा रही हैं। इतना ही नहीं परमाणु अटैक हुआ तो पुतिन के हथियारों की जद में अमेरिका-ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी जैसे देशों के कौन कौन से शहर होंगे महातबाही कितनी बड़ी होगी इस पर भी आर्टिकल छापे जा रहे हैं।मतलब साफ है।कहीं ना कहीं सबके मन यही डर है कि अब पुतिन के पास सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है परमाणु बम के इस्तेमाल का विकल्प इसलिए चर्चाएं की जा रही हैं। सवाल उठाये जा रहे हैं कि हमला कैसे होगा क्या सुखोई-57 जैसे फाइटर जेट परमाणु बम बरसाएंगे। पुतिन न्यूक्लियर मिसाइल दागकर तीसरे विश्वयुद्ध का बिगुल बजाएंगे। ब्लैक सी से पानी के रास्ते एटम बम फोड़ेंगे या फिर टैक्टिकल परमाणु बम से तबाही मचाएंगे यही कारण है कि महाजंग में पुतिन के बैकफुट पर जाने के खबरों के बावजूद अमेरिका और रूस पहली बार परमाणु संधि पर बातचीत करने के लिए टेबल पर एकसाथ आने वाले हैं।

अमेरिका-रूस की परमाणु क्षमता

  • अमेरिका और रूस के बीच START संधि है
  • दोनों देशों ने साल 2026 तक के लिये न्‍यू स्‍टार्ट संधि की हुई है
  • संधि में अपने परमाणु हथियारों की तैनाती को सीमित रखने का प्रावधान है
  • आपको ये भी बता दें कि अमेरिका और रूस दोनों के पास दुनिया में सबसे ज्‍यादा परमाणु हथियार हैं
  • रूस के पास जहां 6, 257 परमाणु हथियार हैं
  • वहीं अमेरिका के पास 5,550 परमाणु बम हैं,जो दुनिया के कई देशों में रखे गए हैं

पुतिन का इरादा साफ

जहां तक पुतिन के सवाल है तो उनके बारे में एक बात बिल्कुल क्लियर है कि पुतिन मिट सकते हैं मगर झुक नहीं सकते साथ ही ये बात भी साफ है कि पुतिन के परमाणु जखीरे में ऐसे हथियार हैं जिनका तोड़ किसी मुल्क के पास नहीं है। उधर दूसरी तरफ यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई से खुद अमेरिका के हथियारों का जखीरा खत्म हो रहा है..इसे आप ऐसे समझिए की अमेरिका दक्षिण कोरिया से 1 लाख तोप के गोले खरीदकर यूक्रेन को देने की डील कर रहा है।बाइडेन खुद अब यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई के मामले में खुलकर इनकार कर चुके हैं। इस जंग में और कितना पैसा कितने हथियार स्वाहा होंगे ये कोई नहीं जानता। पुतिन क्योंकि छोटे हथियारों के मामले में करीब- करीब खाली हो चुके हैं इसीलिए अमेरिका को पुतिन के आक्रामक तेवरों का खौफ सता रहा है कि कहीं वो परमाणु हमला ना कर दें।साथ ही बाइडेन को ये चिंता भी खाए जा रही है कि यूक्रेन वॉर से अलग कोई दूसरा युद्ध भड़क उठा तो क्या होगा। एक मशहूर कहावत है कि बड़ी जंग जीतने के लिए छोटी जंग हारनी पड़ती है..सवाल यही है कि क्या पुतिन इसी फॉर्मूले पर खेरसान से दो कदम पीछे हटे हैं। क्या वो जंग के फुल एंड फाइनल का मन बना चुके हैं।

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