चंद्रयान-3 से विश्व को बड़ी आसः चांद के साउथ पोल पर उतरा तो देश के नाम 'सुपर पावर' बनने का होगा खिताब

Chandrayaan3 Mission Latest Update: इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 मिशन से अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है।

Chandrayaan3 Mission Latest Update: मून मिशन चंद्रयान-3 से न सिर्फ इंडिया को बड़ी आस है, बल्कि समूची दुनिया इस पर टकटकी लगाए है। चंद्रमा अभियान की होड़ में रविवार (20 अगस्त, 2023) को रूस के दौड़ से बाहर होने के बाद पूरे विश्व की उम्मीदें हिंदुस्तान के चंद्रयान-3 से बढ़ गई हैं। अगर हिंदुस्तान अपने इस मिशन में सफल रहा तो वह इतिहास रचने के साथ स्पेस सेक्टर में बड़ा सुपर पावर बनकर उभरेगा।

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सॉफ्ट लैंडिंग पर ISRO ने क्या बताया?चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर अपना चंद्रयान-3 23 अगस्त को लैंड करेगा। ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इसके यान को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है। इसरो के बयान के मुताबिक, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के अब बुधवार (23 अगस्त, 2023) को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है।

रूस को झटका, रेस में यूं पिछड़ाइस बीच, भारत के अच्छे मित्र देश माने जाने वाले रूस के मिशन मून को रविवार को तब तगड़ा झटका लगा, जब उसका रोबोट लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रूसी लैंडर लूना-25 अनियंत्रित कक्षा में जाने के क्रैश हुआ और चांद पर उतरने की दौड़ में पीछे छूट गया।

कब थी लूना-25 की प्रस्तावित लैंडिंग?रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोसकॉसमॉस’ के स्टेटमेंट में जानकारी दी गई, ‘‘लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया था। चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते वह क्षतिग्रस्त हो गया।’’ अंतरिक्षयान से शनिवार को संपर्क टूट गया था, जबकि लूना-25 को विक्रम के लैंडिंग से दो दिन पहले 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना था। अगर रूस इस मिशन में कामयाब हो जाता तब वह इंडिया से इस मामले में आगे निकल जाता। वैसे, रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार 10 अगस्त को अपना चंद्र मिशन भेजा था।

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...तो ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले होगी यह चीजवैसे, दिलचस्प बात यह है कि भारत ने चंद्रयान-3 से चार साल पहले चंद्रयान-2 भेजा था, मगर वह मिशन नाकाम रहा था। वह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन इसके परवर्ती (चंद्रयान-3) मिशन ने चंद्रमा की अपनी यात्रा के तहत अब तक कक्षा से संबंधित सभी बाधाओं को सफलतापूर्वक पार किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि लैंडर माड्यूल प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा।

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क्यों ऐतिहासिक माना जा रहा मिशन?लैंडिंग से जुड़ा टेलीकास्ट टेलीविजन पर 23 अगस्त को लाइव दिखाया जाएगा। आप इसे इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा। इसरो की मानें तो चंद्रयान-3 मिशन से अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है।

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साउथ पोल पर लैंडिंग है अहमदरअसल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर साइंस क्षेत्र से जुड़े लोगों और विशेषज्ञों की खास रुचि है। ऐसा माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे।

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अभिषेक गुप्ता author

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