Vikat Sankashti Chaturthi 2025: रात 10 बजे दिखेगा विकट संकष्टी चतुर्थी का चांद, इससे पहले जरूर पढ़ें ये कथा, नहीं तो अधूरा रह जाएगा व्रत
Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha, Moonrise Time Today (विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): हिंदू पंचांग अनुसार वैसाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश जीवन की सभी परेशानियों का अंत कर देते हैं। व्रत रखने वाले श्रद्धालु इस पौराणिक कथा का पाठ जरूर करें। इस कथा का पाठ चांद निकलने से पहले कर लेना है।

Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha, Moonrise Time Today
Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha, Moonrise Time Today (विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): वैशाख महीने की विकट संकष्टी चतुर्थी का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन विधि विधान व्रत रखता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही ये व्रत भक्तों की सभी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को इस पावन कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।
Vikat Sankashti Chaturthi Puja Vidhi And Muhurat
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Vikat Sankashti Chaturthi Vrat Katha)
विकट संकष्टी चतुर्थी की कथा अनुसार एक राज्य में धर्मकेतु नाम का एक ज्ञानी ब्राह्मण रहता था। उसकी दो पत्नी थीं एक का नाम सुशीला तो दूसरी का नाम चंचला था। सुशीला धार्मिक स्वभाव की थी जबकि चंचला का धर्म-कर्म के कार्यों में बिल्कुल भी मन नहीं लगता थाा। व्रत करने के कारण सुशीला बहुत कमजोर हो गई थी, जबकि चंचला की सेहत काफी अच्छी थी। कुछ समय बाद सुशीला को एक पुत्री हुई तो चंचला को पुत्र की प्राप्ति हुई। ये देख चंचला ने सुशीला से कहा कि तुम इतने व्रत-उपवास करती हो तब भी तुम्हें पुत्री ही प्राप्त हुई जबकि मैंने तो कुछ भी नहीं किया लेकिन फिर भी मुझे पुत्र प्राप्त हुआ। सुशीला को ये सुनकर बहुत बुरा लगा।
जब विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत आया तो सुशीला ने ये व्रत सच्चे मन से किया। सुशीला की भक्ति से गणेशजी प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। सुशीला को शीघ्र ही पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्यवश उसके पति धर्मकेतु की मृत्यु हो गई। इसके बाद चंचला अलग घर में रहने लगी। लेकिन सुशीला पति के घर में रहकर ही अपने बच्चों का पालन करने लगी। सुशीला का पुत्र बेहद ज्ञानी था, कुछ ही समय में उसने अपना घर धन-धान्य से भर दिया।
ये देख चंचला को जलन होने लगी और मौका मिलते ही उसने सुशीला की पुत्री को कुएं में धकेल दिया। लेकिन भगवान गणेश ने उसकी रक्षा की। चंचला ने जब ये देखा कि भगवान गणेश सुशीला के परिवार की रक्षा कर रहे हैं तो उसे अपने कर्मों पर पछतावा होने लगा। इसके बाद उसने तुरंत ही सुशीला से माफी मांगी। फिर सुशीला के कहने पर चंचला ने भी विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया। जिससे उसके परिवार पर भी गणेश जी की कृपा बरसने लगी।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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