Vijaya Ekadashi 2023: कब है विजया एकादशी व्रत, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व

Vijaya Ekadashi 2023 Date: फाल्गुन कृष्णपक्ष की एकादशी की तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है। जानिए फाल्गुन कृष्णपक्ष की एकादशी से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी और महत्व जिससे आपको मिल सके इसका लाभ।

Vijaya Ekadashi 2023: कब है विजया एकादशी व्रत, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
मुख्य बातें
  • विजया एकादशी के व्रत और पूजन से होती है विजय की प्राप्ति
  • विजया एकादशी की व्रत कथा सुनने से धुल जाते हैं व्यक्ति के पाप
  • 16 फरवरी 2023 को रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत

Vijaya Ekadashi 2023 Date: हर मास कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी व्रत रखने का विधान है। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी 2023 को रखा जाएगा। सभी एकादशी में विजया एकादशी का अधिक महत्व होता है। पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी एकादशी का व्रत किया था। मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियों और शत्रुओं से विजय प्राप्ति होती है।

विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi 2023 Importance)

विजया एकादशी के व्रत के महत्व को स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। श्री कृष्ण युधिशष्ठिरसे कहते हैं कि स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय पाने के लिए विजया एकादशी के व्रत को किया था। माना जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत रखने, पूजन करने और कथा पढ़ने या सुनने से व्यक्ति के सारे पाप कर्म धुल जाते हैं और शुभ कर्मों में बढ़ोतरी होती है। विजया एकादशी के व्रत से व्यक्ति जीवन में सभी सुखों का भोग करता है और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही कष्टों का नाश होता है। इस एकादशी के व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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विजया एकादशी पूजा विधि (Vijaya Ekadashi 2023 Puja Vidhi)

विजया एकादशी पर भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें। कलश में आम या अशोक के पत्तों को रखें और इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। भगवान को चंदन का तिलक लगाकर पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल और नवैद्य आदि अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें। आखिर में दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें। यथाशक्ति पूरे दिन व्रत रखें और विष्णुजी के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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