Sheetala Ashtami 2025 Date: शीतला अष्टमी कब है 2025 में, नोट कर लें बसौड़ा पर्व की सही तारीख और मुहूर्त
Sheetala Ashtami 2025 Date (शीतला अष्टमी कब है 2025): शीतला अष्टमी का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बसौड़ा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। जानिए इस बार शीतला अष्टमी का पर्व कब है।

Sheetala Ashtami 2025 Date
Sheetala Ashtami 2025 Date (शीतला अष्टमी कब है 2025): शीतला अष्टमी के त्योहार को बसौड़ा जयंती भी कहा जाता है। बसौड़ा का मतलब बोता है बासी भोजन। दरअसल इस पर्व का ये नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन विवाहित महिलाएं अपने घर की सुख समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कहते हैं इस दिन का व्रत करने से बच्चों को चेचक, खसरा और आंखों की बीमारियां आदि से जुड़े रोग नहीं होते हैं। जानिए इस साल शीतला अष्टमी कब है।
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शीतला अष्टमी कब है 2025 में (Sheetala Ashtami Kab Hai 2025 Mein)
शीतला अष्टमी का त्योहार इस साल 22 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 21 मार्च की सुबह 4 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च की सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त 2025 (Sheetala Ashtami 2025 Shubh Muhurat)
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त सुबह 06:08 से शाम 06:18 बजे तक रहेगा। यानी पूजा के लिए कुल 12 घण्टे 10 मिनट का समय मिलेगा।
शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)
- इस दिन प्रात काल उठकर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
- इसके बाद साफ- सुथरे नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें।
- फिर पूजा के लिए दो थाली सज़ाएं।
- जिसमें से एक थाली में दही, बाजरा, नमक पारे, रोटी, पुआ, मठरी और सतमी के दिन बने मीठे चावल रखें।
- तो वहीं दूसरी थाली में आटे का दीपक बनाकर रखें। इसके अलावा थाली में रोली, वस्त्र अक्षत, सिक्का और मेंहदी रखें।
- साथ में ठंडे पानी से भरा लोटा भी रखें।
- घर के मंदिर में शीतला माता की विधि विधान पूजा करें और उन्हें भोग चढ़ाएं।
- माता की पूजा के बाद इस दिन नीम के पेड़ पर भी जल जरूर चढ़ाना चाहिए।
- फिर दोपहर के वक्त शीतला माता के मंदिर जाएं और वहां भी माता की विधि विधान पूजा करें। माता को जल चढ़ाएं। साथ ही उन्हें रोली, हल्दी का टीका भी लगाएं।
- मां को मेहंदी लगाएं और नए वस्त्र भी अर्पित करें।
- इसके बाद माता को बासी खाने का भोग लगाकर, कपूर जलाकर उनकी आरती करें।
शीतला माता की व्रत कथा (Sheetala Ashtami Vrat Katha)
शीतला अष्टमी की पौराणिक कथा अनुसार एक गांव में बूढ़ी माता रहती थी। एक दिन उसके पूरे गांव में आग लग गई जिससे वहां मौजूद सभी घर जलकर खाक हो गये लेकिन बूढ़ी माता का घर बच गया। जिसे देखकर सभी दंग रह गए। इसके बाद सभी बूढ़ी माता से पूछने लगे कि ये चमत्कार कैसे हुआ तो उन्होंने बताया कि वह चैत्र कृष्ण अष्टमी को व्रत रखती थी और विधि विधान शीतला माता की पूजा करती थीं। इस दिन चूल्हा नहीं जलाती थी और बासी खाना खाती थीं। यही वजह है कि शीतला माता की कृपा से उनका घर बच गया। माता के इस चमत्कार को देख पूरा गांव माता शीतला की पूजा करने लगा।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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