Shani Pradosh Vrat Katha: शनि प्रदोष की कथा पढ़ने से दुखों से मिलेगी मुक्ति और खुलेगा सौभाग्य का द्वार

Shani Pradosh Vrat Katha: शनि प्रदोष व्रत 24 मई को पड़ा है। इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें शनि प्रदोष व्रत की कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

शनि प्रदोष व्रत कथा

शनि प्रदोष व्रत कथा

Shani Pradosh Vrat Katha: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है और जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्ति के लिए खास माना जाता है। ये दिन उन लोगों के लिए भी अच्छा होता है जो शनि की ढैया, साढ़ेसाती या जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाना चाहते हैं। चलिए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पावन कथा।

शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

शनि प्रदोष व्रत कथा (Shani Pradosh Vrat Katha)

प्राचीन काल में एक नगर में सेठ जी रहते थे जिनके घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन संतान नहीं होने के कारण वो और उनकी पत्नी हमेशा दुखी रहते थे। काफी सोच-विचार के बाद सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठ और सेठानी साधु के निकट बैठ गए और उनके जागने का इंतजार करने लगे।साधु ने जब आंखें खोलीं तो देखा कि सेठ और सेठानी काफी समय से आशीर्वाद लेने की प्रतीक्षा में बैठे हैं।

साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख अच्छे से जानता हूं। तुम शनि प्रदोष का व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा। इसके बाद साधु ने सेठ-सेठानी तो प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और साथ में शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई।

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार ।

शिवशंकर जगगुरु नमस्कार ॥

हे नीलकंठ सुर नमस्कार ।

शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥

हे उमाकांत सुधि नमस्कार ।

उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥

ईशान ईश प्रभु नमस्कार ।

विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥

पदोष व्रत की विधि जानने के बाद दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए चल दिए। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई और उनका जीवन खुशियों से उनका जीवन भर गया

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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