Falgun Ganesh Chaturthi Vrat Katha: फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें

Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi: प्रत्येक महीने में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 28 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी है। यहां जानिए संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।

Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi (संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा): फाल्गुन महीने की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जो इस साल 28 फरवरी को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। बता दें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी 2024 को 01:53 AM से 29 फरवरी 2024 को 04:18 AM तक रहेगी। इस दिन चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। यहां देखें फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi)

पौराणिक कथा अनुसार विष्णु शर्मा के 7 पुत्र थे। वे सातों अलग-अलग रहा करते थे। विष्णु शर्मा जब बूढ़ा होने लगा तो उसने सब बहुओं से कहा-तुम सब गणेश चतुर्थी का व्रत किया करो और विष्णु शर्मा स्वयं भी इस व्रत को करता था। क्योंकि अब उसकी उम्र हो रही तो इसलिए वह यह दायित्व अपनी बहुओं को सौंपना चाहता था।

जब विष्णु शर्मा ने अपनी बहुओं से इस व्रत को करने के लिए कहा तो बहुओं ने आज्ञा न मानकर उनका अपमान कर दिया। लेकिन सबसे छोटी बहू ने ससुर की बात मान ली। उसने पूजा के लिए सामान इकट्ठा किया अपने ससुर के साथ व्रत किया। उसने खुद भोजन नहीं किया लेकिन अपने ससुर को भोजन करा दिया।

जब आधी रात बीती तो विष्णु शर्मा की तबीयत खराब हो गई। उसे उल्टी और दस्त लग गए। छोटी बहू ने मल-मूत्र से खराब हुए कपड़ों को साफ करके ससुर के शरीर को पोंछा। पूरी रात बिना कुछ खाए-पिए जागती रही। व्रत के दौरान रात में चंद्रोदय पर स्नान कर फिर से उसने श्री गणेश की पूजा की। विधिवत व्रत का पारण किया। उसने विपरीत स्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोया और पूजा के साथ-साथ ससुर की सेवा दोनों ही श्रद्धा भाव से करती रही।

गणेश जी ने उन दोनों पर अपनी कृपा की। अगले ही दिन से ससुर जी का स्वास्थ्य ठीक होने लगा और छोटी बहू का घर धन-धान्य से भर गया। फिर तो अन्य बहुओं को भी इस प्रसंग से प्रेरणा मिली और उन्होंने अपने ससुर से मांफी मांगी और फाल्गुन कृष्ण संकष्टी चतुर्थी व्रत किया और साथ में साल भर में आने वाली हर चतुर्थी का व्रत करने का शुभ संकल्प लिया। भगवान गणेश की कृपा से सभी का स्वभाव सुधर गया और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं रही।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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