Patwari Mata Ki Katha: शीतला माता की कथा के बाद जरूर पढ़ें पथवारी माता की कहानी, इसके बिना अधूरी है पूजा
Patwari Mata Ki Kahani (पथवारी माता की कहानी): शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता की कथा (Shitala Saptami Ki Katha) के बद पथवारी माता की कथा भी जरूर सुनी जाती है। जिसके बिना शीतला माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। यहां देखें पथवारी माता की कहानी।

Patwari Mata Ki Kahani
Pathwari Mata Ki Kahani (पथवारी माता की कहानी): शीतला सप्तमी के दिन मां शीतला के साथ-साथ पथवारी माता की पूजा करने का भी विधान है। मान्यता है इस देवी की पूजा के बिना शीतला माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। पथवारी माता के लिए घर के बाहर चार-पांच कंकर लाकर उनकी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन शीतला माता की कथा के बाद पथवारी माता की कथा सुनना भी जरूरी माना जाता है। यहां पथवारी माता की कथा।
पथवारी माता की कहानी (Pathwari Mata Ki Kahani In Hindi)
एक बार पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी में झगड़ा हो गया। तीनों ही अपने आप को एक-दूसरे से बड़ा साबित करने में लगे थे। विवाद बढ़ता जा रहा था। तभी वहां से एक ब्राह्मण का लड़का गुजरा जिसे तीनों ने रोक लिया और कहा कि तुम ही बताओं हम तीनों में से बड़ा कौन है? तब लड़के ने कहा मैं अभी तो किसी जरुरी काम से जा रहा हूं, कल आकर मैं इस बारे में बताउंगा।
लड़के ने सारी बात अपनी मां को बताई। मां ने बेटे को सीख दी कि तुम किसी को भी छोटा मत कहना। अगले दिन लड़का पाल, पथवारी और विनायक जी के पास पहुंचा। उसने कहा, पाल माता आप हर व्यक्ति से बड़ी हो क्योंकि हर व्यक्ति आता है, स्नान-ध्यान करता है और जाते समय पैर की ठोकर दे जाता है फिर भी आप नाराज नहीं होती।
फिर लड़के ने पथवारी माता से कहा, पथवारी माता आप भी बड़े हो क्योंकि व्यक्ति चाहे कितने भी तीर्थ क्यों न कर ले, धर्म ध्यान कर ले पर आपकी पूजा के बिना उसका कार्य पूर्ण नहीं होता। अब लड़के ने गणेशजी यानी विनायक जी से कहा, आप भी बड़े हैं, क्योंकि आप सभी देवताओं से पहले पूजनीय है। आपकी अराधना के बिना कोई काम सिद्ध नहीं होता।
लड़के के मुख से ये बातें सुनकर तीनों प्रसन्न हो गए और बोले, बालक तूने बड़ी चतुराई से हम तीनों को ही बड़ा कर दिया। हमारा आशीर्वाद सदा तेरे साथ रहेगा। ऐसा कह कर उन्होंने जौ के कुछ दाने उस लड़के को दे दिए। लड़का सोचने लगा– ये तो बड़ा घाटे का सौदा रहा इतना अच्छा न्याय किया तब भी बदले में जौ मिले। लड़का घर पहुंचा और उसने बेमन से जौ वाला अंगोछा कोने में रख दिया। मां जैसे ही अंगोछा समेटने लगी तो उसमें से चमचमाते हीरे मोती गिरने लगे। मां-बेटों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
हे भगवान ! पाल , पथवारी माता , विनायक जी महाराज ने जिस प्रकार ब्राह्मण के लड़के को आशीर्वाद दिया ऐसा आशीर्वाद सभी को देना।
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