Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का नाम कैसे पड़ा, आखिर क्या है इसका महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
Mauni Amavasya 2025 (मौनी अमावस्या 2025): माघ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मौनी अमावस्या मनाई जाती है। इसके महत्व का वर्णन सनातन हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी मिलता है। लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि क्यों मौनी अमावस्या को मौनी अमावास्या क्यों कहा जाता है। आखिर मौनी अमावस्या से जुड़ी हुई पौराणिक मान्यता क्या है, आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
What is Mauni Amavasya Significance in Hindi
Mauni Amavasya 2025 (मौनी अमावस्या 2025): मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या या माघ अमावस्या भी कहा जात है। मौनी अमावस्या के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की प्राचीन मान्यता रही है। इस साल प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी से लग रहा है, जहां मौनी अमावस्या पर तीसरा अमृत स्नान यानि तीसरा शाही स्नान किया जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद सूर्य देव और पितरों की पूजा करने का भी विशेष विधान होता है। माघ कृष्ण अमावस्या की तिथि 28 जनवरी, बुधवार को शाम 7:35 बजे प्रारंभ होगी और अगले दिन 29 जनवरी, गुरुवार को शाम 6:05 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के हिसाब, वर्ष 2025 में मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या 29 जनवरी गुरुवार को पड़ेगी। लेकिन इस दिन बिना कुछ बोले क्यों स्नान किया जाता है और इसे मौनी अमावस्या क्यों कहते हैं, आज हम आपको इसी तथ्य के बारे में बताएंगे।
मौनी अमावस्या को क्यों कहा जाता है मौनी अमावस्या ?
मौनी अमावस्या को मौनी अमावस्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन मौन रहने का प्रयास किया जाता है। मौनी शब्द का अर्थ है मौन (चुप)। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की मान्यता इस नाते से है कि मौन रहने से मन शांत रहता है और मन नियंत्रित और केंद्रित है। इस दिन चंद्रमा नहीं दिखते हैं, जिससे मन की स्थिति बिगड़ सकती है। मौन व्रत रखने से मन और वाणी को शुद्धि मिलती है। इस दिन व्रत रखकर मन ही मन ईश्वर का जाप और दान करना चाहिए
Mauni Amavasya Significance (मौनी अमावस्या की महत्ता)
आप अक्सर सोचते होंगे कि मौनी अमावस्या पर मौन व्रत क्यों रखते हैं ?, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मुनि ऋषि का जन्म हुआ था, इस नाते मुनि शब्द से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। इस दिन सूर्य उपासना, पितृ तर्पण, और दान-पुण्य के कार्य करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मन में 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय', 'ओम खखोल्काय नम:' और 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र के जाप का विशेष विधान है।
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हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें
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