लाभ पंचमी कब है (Pic Credit- Canva)
लाभ पंचमी कब है 2025 में (Labh Panchami Date 2025 October): दीपावली के उत्सवों की श्रृंखला में लाभ पंचमी एक विशेष पर्व है, जो समृद्धि, सौभाग्य और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व खासतौर पर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में व्यापारियों के बीच बेहद लोकप्रिय है, जहां इस दिन नए व्यवसाय की शुरुआत शुभ मानी जाती है। इसके साथ ही पुराने व्यापार के खाता-बही का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन व्यापारी नए खाते की शुरुआत करते हैं।
2025 में कब है लाभ पंचमी?
दीपावली के 5 दिन बाद पड़ने वाला यह त्योहार साल 2025 में इस वर्ष लाभ पंचमी 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचम के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व 26 अक्टूबर 2025 को रविवार के दिन पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
पंचमी तिथि 26 अक्टूबर को सुबह 3:48 बजे शुरू होगी और 27 अक्टूबर को सुबह 6:04 बजे समाप्त होगी। इस दिन पूजन के लिए प्रातःकाल का मुहूर्त सुबह 6:21 बजे से 9:59 बजे तक रहेगा, जो लगभग 3 घंटे 38 मिनट का समय है। इसके अलावा, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया में पूजन करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
लाभ पंचमी का नाम 'लाभ' यानी आर्थिक और भौतिक फायदा और 'पंचमी' यानी पांचवीं तिथि से मिलकर बना है। यह पर्व दीपावली उत्सव का समापन करता है और समृद्धि, सौभाग्य और ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से जीवन में आर्थिक स्थिरता, बाधा-मुक्ति और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
इस श्लोक ('लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः।') के मुताबिक जिनके हृदय में भगवान निवास करते हैं, उन्हें सदा लाभ और विजय प्राप्त होती है। गुजरात में लाभ पंचमी को गुजराती नववर्ष का पहला कार्यदिवस माना जाता है। इस दिन दीपावली के बाद बंद दुकानें और व्यवसाय दोबारा खोले जाते हैं। व्यापारी खाता-बही पर 'श्री', 'स्वास्तिक' और 'ॐ' अंकित कर पूजन करते हैं, ताकि वर्ष भर लाभ और समृद्धि बनी रहे।
जैन समुदाय में इस दिन को ज्ञान पंचमी के रूप में मनाया जाता है, जहां पुस्तकों और विद्या की पूजा कर बुद्धि वृद्धि की कामना की जाती है। यह पर्व सामुदायिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि परिवार और व्यापारी समुदाय मिलकर उत्सव मनाते हैं।
लाभ पंचमी की पूजा विधि
लाभ पंचमी पर स्नान के बाद घर या कार्यस्थल की पूजा स्थली को साफ करें। रंगोली बनाएं, स्वास्तिक अंकित करें और दीप प्रज्वलित करें। इसके बाद एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उस पर सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और चंदन, कुमकुम, फूल, दूर्वा और धूप-दीप से उनकी पूजा करें।
नए लेजर या खाता-बही पर स्वास्तिक और 'श्री' अंकित कर उसे चंदन-कुमकुम से सजाएं और पूजन करें। इस दौरान गणेश मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' और लक्ष्मी मंत्र 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः' का 108 बार जाप करें। पूजन के बाद लक्ष्मी-गणेश की आरती करें और मिठाई, फल व खील-बताशे का प्रसाद वितरित करें। अंत में ब्राह्मणों, जरूरतमंदों या मंदिर में वस्त्र, भोजन या धन का दान करें। जैन समुदाय के लोग इस दिन सरस्वती पूजा और ज्ञान प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान भी करते हैं। पूजन के बाद परिवार के साथ स्नेहपूर्ण भोजन करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Times Now Navbharat इसकी पुष्टि नहीं करता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।