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Badi Diwali Kab Hai 2025: बड़ी दिवाली किस दिन है? बड़ी दिवाली कब मनाई जाएगी, जानें सही तारीख

Badi Diwali Kab Hai 2025 (बड़ी दिवाली कब है): दिवाली की धूम हर तरफ देखने को मिल रही है। आज धनतेरस के साथ ही दिवाली की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन बड़ी दिवाली कब है, इसकी तारीख आपको यहां से पता चलेगी। यहां बड़ी दिवाली की तारीख लिखी हुई है।

Badi Diwali Kab Hai 2025 Mein

बड़ी दिवाली कब है 2025? (pic credit: canva)

Badi Diwali Kab Hai 2025 (बड़ी दिवाली कब है): देशभर में दिवाली की धूम मची हुई है। साज-सजावट और आतिशबाजियां हो रही हैं। लेकिन दिवाली की डेट्स को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन बनी हुई है। आज तो धनतेरस है लेकिन बड़ी दिवाली किस दिन है और इसकी लक्ष्मी पूजा कब होगी, ये आपको यहां से पता चलेगा। यहां बड़ी दिवाली की सही तारीख लिखी हुई है। साथ ही यहां दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त भी दिया गया है और पूजा की विधि भी बताई गई है।

बड़ी दिवाली कब की है?

साल 2025 में बड़ी दिवाली 20 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी। कहते हैं इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और 16100 कन्याओं को मुक्त कराया था।

बड़ी दिवाली की पूजा का मुहूर्त

बड़ी दिवाली के दिन गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। यानी इश दिन पूजा के लिए 1 घंटा 11 मिनट का समय मिलेगा।

बड़ी दिवाली की पूजा विधि

बड़ी दिवाली की पूजा करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करके साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें। पूजा में पवित्रता और सात्विकता का विशेष महत्व है। अब उस स्थान पर स्वास्तिक बनाएं और उस पर मुट्ठी भर चावल रखें। इसके बाद लकड़ी का एक पाट रखें जिसमें देवी लक्ष्मी, श्री गणेश और कुबेर जी विराजमान हों। पाट पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें। चित्र या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके सामने धूपबत्ती, अगरबत्ती, दीप आदि जलाएं। अब देवी के चित्र के चारों ओर केले के पत्ते और गन्ना रखें। अब देवी को उनकी सभी प्रिय चीजें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमल गट्टे आदि। फिर देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। सबसे पहले उन्हें फूलों की माला पहनाएं और हल्दी, कुमकुम और चावल लगाएं। अनामिका अंगुली से सुगंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाएं। सभी सामग्री अर्पित करने के बाद देवी की आरती करें। आरती में घर के सभी सदस्यों को भाग लेना चाहिए। पूजा और आरती के बाद प्रसाद चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नैवेद्य में नमक, मिर्च और तेल का उपयोग नहीं किया जाता है। प्रत्येक थाली पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।

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Srishti
Srishti Author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच... और देखें

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