Independence day special 'Tirangi' Barfi History: आजादी की जंग में इस बर्फी ने दिया है खूब योगदान, इतिहास जान स्वीट लवर्स होंगे खुश
Rashtriya Tirangi barfi of india history: स्वतंत्रता दिवस का त्योहार आने वाला है, और बेशक ही इस दिन से जुड़ी आपके बचपन की भी खूब यादें होंगी और उन्हीं में से एक है स्कूल में तिरंगी बर्फी बटने की बेशक उस मिठाई का स्वाद आज भी आपकी जुबान पर होगा। खैर क्या आपने कभी सोचा है कि, इस तरह की ट्राईकलर मिठाई की शुरुआत हुई कहां से थी, किसने की थी और इससे बनने के पीछे की वजह क्या थी, शायद नहीं तो यहां देखें राष्ट्रिय बर्फी से जुड़ी बहुत ही रोचक बातें।
Independence day 2023 special Tiranga barfi history in Hindi national sweet barfi of India
Independence Day 2023 special Tirangi Barfi History in Hindi: आने वाली 15 अगस्त को भारत और भारतवासी बड़ी ही धूम-धाम से अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। झंडावंदन, रंगारंग कार्यक्रम, देशभक्ति के एहसास के साथ इस दिन मिठाइयों की मिठास भी कुछ ज्यादा ही अच्छी लगती है। स्वतंत्रता दिवस का दिन हर्ष, उल्लास और देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह के साथ साथ बेहद प्यारा भी होता है।
राष्ट्रिय त्योहारों का दिन हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की लौ जलाने के साथ साथ बचपन और गुजरे दिनों की यादें भी ताजा कर जाता है। उन्हीं यादों में से बहुत प्यारी याद है स्कूलों में बर्फी मिठाई बटने की, अवश्य ही आपके स्कूलों में भी खास स्वतंत्रता दिवस स्पेशल तिरंगी बर्फी या देसी घी लड्डू वाले मिलते होंगे। जिन्हें देख हर चेहरा कुछ खिल उठता था, हालांकि क्या आपने कभी सोचा है कि स्कूल में मिलने वाली उस स्वादिष्ट तिरंगी की बर्फी को बनाने की प्रथा शुरु कहां से हुई थी, किसने सोचा था कि एक मिठाई देश के नाम कर दें, तो यहां देखें लजीज तिरंगी बर्फी के इतिहास से जुड़ी सभी रोचक बातें।
पहली तिरंगी बर्फी कहां बनी? Tirangi Barfi History in Hindi
रंगारंग कार्यक्रमों के बाद स्कूल में मिलने वाली तिरंगी बर्फी का स्वाद आज इतने सालों बाद भी बेशक आपकी जुबान पर तैर रहा होगा। बता दें कि आजादी की लड़ाई में जैसे शहीदों से लेकर आम जनता तक ने अपने अपने स्तर पर योगदान दिया था। वैसे ही तिरंगी बर्फी भी आजादी की लड़ाई में अपनी अलग अनोखी पहचान लेकर उभरी थी। बनारस में साल 1850 में पहली बार तिरंगी बर्फी बनाने की शुरुआत की गई थी। और उसी के बाद से इस खास राष्ट्रिय बर्फी ने देश के इतिहास में और देशवासियों के दिल में अपनी खास पहचान बना ली है।
किसने की थी शुरुआत?
बनारस के ठठेरी बाजार के फेमस राम भंडार के दीवारों के पीछे पहली बार तिरंगी बर्फी बनाई गई थी। और आजादी की लड़ाई में इस खास मिठाई को राष्ट्रिय बर्फी के रूप में खूब पहचान मिली थी। न केवल ये बल्कि इस बर्फी ने उस जमाने में कुछ ऐसे ऐसे काम किए थे, जिन्हें जान आज आजादी के इतने साल बाद भी आपकी खुशी और गर्व का कोई ठिकाना नहीं रहेगा।
लड़ी थी आजादी की लड़ाई
इतिहास गवाह है कि, आजादी की लड़ाई में जनता के साथ साथ बर्फी जैसी मिठाई ने भी खूब जंग लड़ी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार आजादी की जंग के वक्त जब सरकार द्वारा अखबारों का वितरण बंद कर दिया था और शहरों की दीवारों पर भी अपने विचार व्यक्त करने की मनाही थी। उस वक्त बनारस में इस बर्फी का जन्म हुआ था, जिसने देश की लड़ाई में एक स्लोगन की तरह काम किया था।
तिरंगी बर्फी को उस दौर में झंडे के समान ही माना जाने लगा था, जो देश के शहीदों के मन को खूब भाता था। तिरंगी बर्फी को आज देश भर में बड़े ही चाव से खाया जाता है। काजू, बादाम, मावा और पिस्ता से बनी ये मिठाई अपने आप में ही गजब स्वाद वाली है। इस स्वतंत्रता दिवस आपको बेशक ही घर पर इसे बनाकर देश के रंगों का लुत्फ उठाना चाहिए।
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