चीते से डबल रफ्तार,हादसे से सुरक्षा,एयरप्लेन जैसा फील, ये ट्रेन बदलेगी भारतीय रेल की इमेज
Indian Railway:पूरी तरह से मेड इन इंडिया वंदे भारत एक्सप्रेस की सबसे बड़ी खासियत, उसका पिक अप है। जो कि बुलेट ट्रेन को भी मात देता है। रेल मंत्रालय के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस की दूसरी पीढ़ी ट्रेन को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में मात्रा 52 सेकंड लगते हैं। जबकि बुलेट ट्रेन को इसके लिए 55 सेकंड लगते हैं।
वंदे भारत ट्रेन है बेहद खास
- पहली वंदे भारत ट्रेन फरवरी 2019 में दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई थी।
- अगस्त 2023 तक कुल 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी है।
- रेलवे चौथी पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेन में स्लीपर कोच लगाने की तैयारी कर रहा है।
पिक अप के मामले में बुलेट ट्रेन से भी आगे
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पूरी तरह से मेड इन इंडिया (Made In India) वंदे भारत एक्सप्रेस की सबसे बड़ी खासियत, उसका पिक अप है। जो कि बुलेट ट्रेन को भी मात देती है। रेल मंत्रालय के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस की दूसरी पीढ़ी ट्रेन को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में मात्रा 52 सेकंड लगते हैं। जबकि बुलेट ट्रेन को इसके लिए 55 सेकंड लगते हैं। साफ है कि जब भारत में ट्रैक तेज रफ्तार के लिए तैयार हो जाएंगे, तो वंदे भारत की तीसरी पीढ़ी की ट्रेन 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार भी छू लेगी। फिलहाल भारत में पहली पीढ़ी की वंदे भारत की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है।
स्लीपर वंदे भारत ट्रेन चलाने की है तैयारी
भारत में पहली वंदे भारत ट्रेन फरवरी 2019 में दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई थी। और उसके बाद दूसरी ट्रेन दिल्ली से कटरा के लिए चलाई गई। और तीसरी ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई के लिए चलाई गई है। इन तीनों ट्रेन की खासियत है कि इसमें केवल बैठने की व्यवस्था है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अगस्त 2023 तक कुल 75 वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएंगी। इन सभी ट्रेनों में केवल बैठने की व्यवस्था रहेगी।
रेलवे इसके अलावा चौथी पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेन चलाने की भी तैयार कर रही है। इसके तहत उसने 200 स्लीपर ट्रेन के लिए टेंडर जारी कर दिया है। यानी अगरे 5-6 साल में यात्रियों को स्लीपर वंदे भारत ट्रेन में सफर करने का मौका मिल सकता है। इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट में यह ऐलान किया था कि रेल मंत्रालय अगले 3 साल में 400 वंदे भारत ट्रेन चलाएगा।
इस समय वंदे भारत ट्रेन का उत्पादन इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में किया जा रहा है।
कवच रोकेगा रेल दुर्घटना
भारत में बड़े रेल हादसे भी बड़ी चुनौती रहे हैं। ऐसे ट्रेनों के आमने-सामने से टकराने के लिए रेलवे नए कवच तकनीकी विकसित की है। इसके तहत एक ही ट्रैक पर आ रही ट्रेन को लड़ने से रोका जा सकेगा। इसका सफल ट्रॉयल किया जा चुका है। और साल 2022-23 में , कवच तकनीकी से 2000 किलोमीटर के रूप जोड़े जाएंगे और उसके बाद हर साल 5000-6000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को जोड़ा जाएगा। साल 2020 तक भारत में कुल 1.26 लाख किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क था।
इसके अलावा LHB कोच के जरिए ट्रेन के पटरी से डीरेल होने के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार रेलवे 2025-30 के बीच मे 50 हजार पुराने रेलवे कोच की जगह LHB कोच लेंगे। इसी दिशा में साल 2021-22 में LHB का उत्पादन 45 फीसदी बढ़ा है।
साल | रेल हादसे (बड़े) |
2015 | 131 |
2016 | 106 |
2017 | 103 |
2018 | 72 |
2019 | 59 |
2020 | 54 |
2021 | 21 |
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