Aditya-L1 Mission: सूरज पर अब तक हो चुके हैं 22 मिशन, 2 सितंबर को रवाना होगा भारत का आदित्य एल-1
India Aditya-L1 Mission News: सूरज पर अब तक 22 अंतरिक्ष मिशन हो चुके हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूरज पर पहला मिशन पायनीर 1960 में भेजा था। इसके बाद उसने 1969 तक पायनीर 5,6,7, 8, 9 और पायनीर ई नाम से सूरज पर मिशन भेजे। नासा के ये सभी ऑर्बिटर मिशन थे।
दो सितंबर को रवाना होगा आदित्य एल 1।
India Aditya-L1 Mission : चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में जुटा है। अंतरिक्ष अभियान की इसरो की अगली कड़ी में आदित्य एल-1 अभियान है। इसरो का आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान दो सितंबर को रवाना होगा। यह सूरज पर भारत का पहला मिशन है। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। आदित्य एल 1 सूरज और धरती के बीच लाग्रेंज प्वाइंट 1 पर रुकेगा और यहीं से सूर्य का अध्ययन करेगा।
नासा ने 1960 में भेजा था पहला सूर्य मिशन
सूरज पर अब तक 22 अंतरिक्ष मिशन हो चुके हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूरज पर पहला मिशन पायनीर 1960 में भेजा था। इसके बाद उसने 1969 तक पायनीर 5,6,7, 8, 9 और पायनीर ई नाम से सूरज पर मिशन भेजे। नासा के ये सभी ऑर्बिटर मिशन थे। उसका पायनीर ई मिशन असफल रहा। पायनीर ई ऑर्बिटर में नहीं पहुंच पाया।
जर्मनी एवं ESA के सूर्य मिशन
इसके बाद नासा अलग-अलग समय पर जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी डीएफवीएलआर और यूरीपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर सूरज पर मिशन भेजता रहा। 1974 से लेकर 1997 तक सूरज की तरफ सात मिशन भेजे गए। ये सभी ऑर्बिटर मिशन थे। साल 2000 के बाद नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने सूरज की तरफ नौ मिशन रवाना किए। इनमें से सात मिशन सफल हुए जबकि नासा और ESA के दो सूर्य मिशन अभी रास्ते में हैं।
क्या करेगा आदित्य एल 1
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज प्वाइंट (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा। पृथ्वी से लाग्रेंज प्वाइंट की दूरी 15 लाख किलोमीटर है। खास बात है कि इस प्वाइंट पर सूर्य ग्रहण का असर नहीं होता है। यानी आदित्य यहां से हमेशा सूर्य की निगरानी करता रहेगा। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ प्रदान करेगा। अंतरिक्ष यान यहां से फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के साथ तस्वीरें खींचेगा।
आदित्य-एल1 मिशन के उद्देश्य हैं- सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिकी का अध्ययन
- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल तापन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत, और फ्लेयर्स का अध्ययन
- सूर्य से कण की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले यथावस्थित कण और प्लाज्मा वातावरण का प्रेक्षण
- सौर कोरोना की भौतिकी और इसका ताप तंत्र।
- कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
- सी.एम.ई. का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति।
- उन प्रक्रियाओं के क्रम की पहचान करें जो कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) में होती हैं जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।
- कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप।
- हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता।
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