Surat: दुनिया की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट बिल्डिंग है 'डायमंड बोर्स', 35 एकड़ में फैली इमारत की खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान
Surat Diamond Bourseछ गुजरात के सूरत में डायमंड बोर्स नाम की दुनिया की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट इमारत बनकर तैयार है। इस इमारत कई कई विशेषताएं है। 66 लाख वर्ग फुट से अधिक एरिया में फैली यह बिल्डिंग अमेरिका के सबसे बड़े दफ्तर पेंटागन से भी अधिक है।
Surat Diamond Bourse: गुजरात के सूरत में भारत की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट इमारत बनकर तैयार है। 35 एकड़ से ज्यादा जगह में निर्मित सूरत डायमंड बोर्स 66 लाख स्क्वायर फीट पर पर बनी है और यह दुनिया की सबसे बड़ी कॉरपोरेट बिल्डिंग के रूप में जाना जाएगी। सूरत के डायमंड एसोसिएशन के लगभग 4000 से ज्यादा पदाधिकारियों ने इस मांग को रखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को आश्वस्त किया कि यह प्रोजेक्ट न केवल देश में पर दुनिया में डायमंड की दुनिया का सिरमौर होगा और आज यह बात सीना चौड़ा खड़े हुए डायमंड बूर्स को देखकर सच होती हुई मालूम होती है।
10 साल पहले देखा था सपना
एसआरके डायमंड्स के मालिक गोविंद ढोलकिया, आरके डायमंड्स के कर्ता-धर्ता पद्मश्री सावजी भाई ढोलकिया और धर्मानंदन डायमंड्स के ओनर लालजी भाई पटेल, यह वह लोग हैं जो डायमंड के दुनिया के बेताज बादशाह कहलाते हैं। इन्हीं लोगों ने आनंदीबेन पटेल से पहल की मुंबई की जगह सूरत को डायमंड का हब बनाने की पहल की। 2013-14 में यह बात बड़ी अजीब लगती थी कि पूरी डायमंड इंडस्ट्री मुंबई से आखिर सूरत कैसे आएगी? लेकिन कहते हैं कि गुजरात का व्यापारी पास के फायदे के लिए कभी दूर का नुकसान नहीं करता और यही कहानी सूरत डायमंड बुर्स की है।
डायमंड हब है सूरत
कहते हैं कि 'हीरा है सदा के लिए', यह बात हीरे को लेकर बिल्कुल सटीक बैठती है। ऐसे ही कुछ बात सूरत शहर में है, जहां हीरे को सूरत शहर का पर्याय करें तो कुछ गलत नहीं होगा। सूरत शहर और हीरा यह दोनों एक दूसरे के पूरक समझिए। भारत का एकमात्र ऐसा शहर जहा देश ही नहीं दुनिया भर के 90 फ़ीसदी हीरो में से 80 फ़ीसदी हीरो की घिसाई होती है और यहीं पर शहर है कि जहां डायमंड के दुनिया के दिग्गजों का साम्राज्य बसा हुआ है। यह वह लोग हैं जो दुनिया के 90 फ़ीसदी हीरो की तकदीर और तस्वीर का फैसला करते हैं और उनके साथ हजारों लोगों की फौज जो गुजरात और देश के अलग-अलग राज्यों से यहां पहुंचे और हीरा घिसाई का काम करते हैं।
मिली थी सरकार से 1000 एकड़ जमीन
वर्ष 2014 में जब सूरत के कुछ व्यापारी तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से मिले तो उनकी बस एक ही ख्वाहिश थी कि हीरे का कारोबार मुंबई से ना होकर सूरत से संचालित हो और इसी लक्ष्य को लेकर यह सभी व्यापारी गण जो कि हीरा उद्योग से जुड़े हुए थे उन्होंने आनंदीबेन पटेल को मनाया और समझाया। असर यह हुआ कि उन्हें तुरंत ही 1000 एकड़ से ज्यादा जमीन सरकार द्वारा दे दी गई जो ख्वाब देखा गया था उसके तामीर होने का समय आया और सूरत डायमंड बोर्स की नींव रखी गई।
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