CJI गवई पर कुछ फेंकने की कोशिश (PTI)
CJI Gavai: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अदालत कक्ष संख्या 1 में आज उस समय थोड़ी देर के लिए अफरा-तफरी मच गई जब एक बुजुर्ग वकील ने मुख्य न्यायाधीश पर जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा कर्मचारियों ने तुरंत वकील को काबू कर लिया। बाहर निकाले जाने के दौरान वकील ने कहा, "सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।" इस दौरान न्यायमूर्ति गवई शांत रहे और सुनवाई जारी रखी। सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा शाखा ने घटना की पुष्टि की है। वकील को हिरासत में लेकर सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा कक्ष में रखा गया। सूत्रों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश गवई द्वारा उन पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश के बाद, वकील राकेश किशोर को नजरबंदी से मुक्त कर दिया गया है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के डीसीपी कक्ष में हिरासत में रखा गया था।
घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खुली अदालत में कहा कि इन चीजों का मुझपर असर नहीं होता है। यह घटना उस समय हुई जब मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी। सूत्रों ने बताया कि आरोपी वकील मंच के पास गया और जूता उतारकर जस्टिस गवई पर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने समय रहते हस्तक्षेप किया और वकील को काबू कर लिया।
बाहर निकलते समय वकील को यह कहते हुए सुना गया कि सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश अविचलित रहे और उन्होंने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इन सब से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। ये चीजें मुझ पर असर नहीं करती हैं।
इस मामले पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि इसकी विस्तृत जांच आवश्यक है। वकील का नाम उजागर किया जाना चाहिए और उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह भारत के सुप्रीम कोर्ट पर एक स्पष्ट जातिवादी हमला लगता है। सुप्रीम कोर्ट सभी न्यायाधीशों द्वारा एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य द्वारा इसकी निंदा की जानी चाहिए कि न्यायालय वैचारिक हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। न्यायालय की गरिमा के अनुरूप, मुख्य न्यायाधीश गवई ने बिना किसी स्पष्ट व्यवधान के न्यायिक कार्य किया।
इस घटना को खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े एक पिछले मामले में सीजेआई गवई की टिप्पणी से जोड़ा जा रहा है। उस मामले को खारिज करते हुए उन्होंने कहा था, जाओ और भगवान से ही कुछ करने के लिए कहो। तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो। तो जाओ और अभी प्रार्थना करो। यह एक पुरातात्विक स्थल है और एएसआई को अनुमति वगैरह देनी होगी।
इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया था और कई लोगों ने सीजेआई पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। दो दिन बाद खुली अदालत में इस विवाद को संबोधित करते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि उनका कोई अनादर करने का इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं...यह सोशल मीडिया पर हुआ। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई का समर्थन करते हुए कहा था कि घटनाओं पर प्रतिक्रियाओं को अक्सर सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। उन्होंने कहा, हमने यह देखा है...न्यूटन का नियम है जो कहता है कि प्रत्येक क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब प्रत्येक क्रिया पर सोशल मीडिया पर असमानुपातिक प्रतिक्रिया होती है, महोदय।
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