नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुखदेव यादव को 3 महीने का फरलो दिया, 20 साल से जेल में है बंद

सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्टूबर 2016 को कटारा के अपहरण और हत्या के सनसनीखेज मामले में विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को उनकी भूमिका के लिए बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सुनाई थी।

Supreme court

नीतीश कटारा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुखदेव को दिया फरलो

Nitish Katara Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नीतीश कटारा हत्या मामले में सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को बुधवार को तीन महीने का फरलो दिया। जस्टिस उज्जल भुइयां और के. विनोद चंद्रन ने कहा कि सुखदेव यादव ने बिना किसी छूट के 20 साल तक लगातार जेल की सजा काटी है। शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया कि यादव को सात दिन के भीतर निचली अदालत में पेश किया जाए और उसे फरलो दिए जाने से पहले निचली अदालत उस पर उचित शर्तें लगाए।

फरलो का मतलब अस्थायी रिहाई

फरलो का मतलब जेल से अस्थायी रिहाई है, न कि पूरी सजा का निलंबन या छूट। यह आमतौर पर जेल में लंबे समय से बंद कैदियों को दी जाती है, जिन्होंने अपनी सजा का एक हिस्सा पूरा कर लिया हो। यादव की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के नवंबर 2024 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें तीन सप्ताह के लिए फरलो पर रिहा करने की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

नीतीश कटारा की अपहरण और हत्या मामला

सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्टूबर 2016 को कटारा के अपहरण और हत्या के सनसनीखेज मामले में विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को उनकी भूमिका के लिए बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सुनाई थी। इस मामले में सह-आरोपी सुखदेव यादव को 20 साल की सजा सुनायी गई थी।

इन्हें 16 और 17 फरवरी 2002 की रात को एक शादी समारोह से कटारा के अपहरण और फिर उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया और जेल की सजा सुनाई गई थी। इन्होंने विकास की बहन भारती यादव के कटारा से कथित प्रेम संबंधों के कारण इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। भारती उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव की बेटी है। निचली अदालत ने कहा था कि विशाल और विकास यादव को भारती के साथ कटारा का रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे इसलिए उन्होंने कटारा की हत्या कर दी थी।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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